पटना, सितंबर 28 -- बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रविवार को 'बिहार बदलाव के मुद्दे और दिशा' पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुये कहा कि देश में जनता की आवाज़ उठाने वालों को जेल में डाला जा रहा है।

उन्होंने लद्दाख में सोनम वांगचुक, उत्तराखंड में छात्र आंदोलनों और बिहार में संविदाकर्मियों के आंदोलन पर हुई कार्रवाई को इसका उदाहरण बताया।

माले महासचिव श्री दीपंकर ने कहा कि आज संगठित होने की हर कोशिश को कुचला जा रहा है, यह फासीवाद है। उन्होंने उमर खालिद की अब तक जेल में बंदी पर चिंता जताई और बिहार में बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आलोचना की। उन्होंने पूर्वी चंपारण में 80 हज़ार मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब होने को लोकतंत्र पर हमला बताया।

दलित और वंचित वर्गों के मुद्दों पर बोलते हुये उन्होंने भूमि सुधार और शिक्षा सुधार को सामाजिक न्याय का अभिन्न हिस्सा बताया। वहीं, पीरपैंती में अदानी को मात्र एक रुपया सालाना दर पर 1050 एकड़ ज़मीन देने के निर्णय को 'कॉरपोरेट परस्ती' करार दिया।

दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि, 'बिहार को कारपोरेट लूट और बुलडोजर राज से बचाना होगा। अब समय है सरकार बदलने का।'कार्यक्रम में कई प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया, जिनमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, अली अनवर अंसारी, शशि यादव, शशि बी पंडित, कुमार दिव्यम आदि शामिल थे।

कार्यक्रम के दौरान राजनीतिक प्रस्तावों पर सहमति भी बनी। इनमें 'नो वोट टू एनडीए' अभियान की घोषणा, कारपोरेट भूमि अधिग्रहण का विरोध, 65 प्रतिशत आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग, अति पिछड़ा समुदाय अत्याचार निवारण कानून का उल्लंघन और शिक्षा और रोजगार आधारित सामाजिक न्याय की पैरवी प्रमुख रहे।

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