पटना , अक्टूबर 27 -- बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ के अवसर पर आज व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित किया। गंगा नदी में हजारों महिला और पुरुष व्रतधारियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस अवसर पर लाखों लोगों ने पवित्र गंगा नदी में स्नान भी किया। सुबह से ही आज गंगा नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग छठ व्रत एवं सूर्य आराधना के भक्तिपूर्ण एवं कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान रहे।पटना जिला प्रशासन ने गंगा नदी के घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। प्रशासन की ओर से गंगा नदी में नौका के परिचालन पर कल दोपहर तक के लिए रोक लगा दी गयी है। छठ घाटों पर पटाखे छोड़ने पर भी प्रतिबंध है। छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ- सुथरा किया गया है और विशेष रूप से सजाया भी गया है। इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले मार्गों पर तोरण द्वारा बनाये गये हैं और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास एक अणे मार्ग में परिवार के सदस्यों के साथ अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।
बिहार में औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल देव के पौराणिक सूर्य कुंड में आज कार्तिक छठ व्रत के अवसर पर करीब आठ लाख छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित किया। अत्यंत आकर्षक ढंग से सजाये गये देव के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की लंबी कतार आज सुबह से ही लगी हुई है और लोग बारी-बारी से भगवान भास्कर का दर्शन-पूजन और अर्चन कर रहे हैं । देश के विभिन्न राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और बिहार-झारखंड के कोने-कोने से आए छठव्रतियों की ओर से कल सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्यअर्पित किए जाने के साथ ही चार दिनों का यह पवित्र अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा।पूरे मेला क्षेत्र और मंदिर परिसर में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ।जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री और पुलिस अधीक्षक अंबरीष राहुल मेला क्षेत्र में कैंप कर मेला क्षेत्र में विधि - व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं। लोक मान्यता है कि देव में छठ व्रत करने से इस अवसर पर भगवान सूर्यदेव की साक्षात उपस्थित की रोमांचक अनुभूति होती है और यहां के पौराणिक सूर्यकुंड में अर्घ्य अर्पित करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है ।
पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन कल व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े हो कर उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे।
गौरतलब है कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा चावल का भोजन ग्रहण करते हैं। इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है।
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