पटना , दिसंबर 12 -- बिहार के कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने शुक्रवार को बताया कि राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये जैविक कॉरिडोर योजना के तहत किसानों एवं किसान समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर जैविक खेती की जा रही है। श्री यादव ने बयान जारी कर कहा कि सभी किसानों को प्रथम वर्ष का सी-1 प्रमाण-पत्र बसोका द्वारा निर्गत किया जा चुका है तथा द्वितीय वर्ष का सी-2 प्रमाणन जारी करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत किसानों को प्रोत्साहन के रूप में ग्यारह हजार पाँच सौ रुपये प्रति एकड़ (अधिकतम 2.5 एकड़) तक अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही विपणन, ब्रांडिंग, दस्तावेजीकरण, ई-कॉमर्स एवं स्टार्ट-अप नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए भी सहायता दी जा रही है।
मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन कर जैविक खेती की आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया गया है।उन्होंने कहा कि पटना के फतुहा स्थित औद्योगिक क्षेत्र में आदर्श जैविक प्रक्षेत्र स्थापित किया गया है, जहां किसान जैविक खेती की प्रक्रियाओं, तकनीकों और बाजार संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जैविक उत्पादों की गुणवत्ता, मानकीकरण और मूल्य संवर्धन के प्रति अत्यंत संवेदनशील है तथा किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण, किसान चौपाल और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर क्षमता वर्धन किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य के 38 जिलों में वर्मी कम्पोस्ट एवं बायोगैस इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। ''पक्का वर्मी कम्पोस्ट इकाई योजना'' के अंतर्गत 75 घन फीट क्षमता की इकाई पर 50 प्रतिशत या अधिकतम पाँच हजार रुपये अनुदान दिया जाएगा तथा वर्ष 2025-26 में बीस हजार इकाइयों के निर्माण हेतु 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। वहीं गोबर/बायोगैस संयंत्र योजना के अंतर्गत दो घन मीटर क्षमता वाले संयंत्र पर बाईस हजार पाँच सौ रुपये अनुदान का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त एफपीओ, किसान समूहों और स्टार्ट-अप्स के लिए एक हजार से तीन हजार मेट्रिक टन क्षमता वाली व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट इकाइयों पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि नमामि गंगे अभियान के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना के तृतीय चरण के लिए 12 गंगा किनारे के जिलों में 2356.20 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। इसमें 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कार्यरत समूहों को प्रति हेक्टेयर सोलह हजार पाँच सौ रुपये की दर से सहायता सीधे किसानों के बैंक खाते में दी जाएगी। प्रशिक्षण, जैविक उपादान और भागीदारी गांरटी प्रणाली (पी.जी.एस) आधारित प्रमाणीकरण पर भी अधिकतम दो हेक्टेयर तक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
मंत्री ने कहा कि जैविक खेती मृदा-स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने तथा किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम है। बिहार सरकार का यह व्यापक प्रयास राज्य को जैविक कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित