पटना , दिसंबर 22 -- बिहार में कानून का राज स्थापित करने के लिये राज्य सरकार की ओर से किये गये ठोस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं और इस साल पिछले वर्षों की तुलना में संगीन अपराधों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
हत्या के मामलों में 7.72 प्रतिशत, डकैती में 24.87 प्रतिशत और दंगा से जुड़े मामलों में 17.97 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर भी राष्ट्रीय औसत से करीब आधी यानी 37.5 दर्ज की गई है।
यह जानकारी गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी, पुलिस महानिदेशक विनय कुमार, कारा सचिव प्रणव कुमार और गृह (विशेष) विभाग के विशेष सचिव केएस अनुपम ने सूचना भवन में सोमवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि सुदृढ़ पुलिसिंग और मजबूत खुफिया तंत्र के कारण कई संगीन अपराधों को अंजाम से पहले ही रोक लिया गया।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री चौधरी ने बताया कि इस वर्ष 25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ निरूद्धादेश पारित किये गये हैं। अपराध से अर्जित संपत्ति को लेकर 1419 अपराधियों को चिन्हित किया गया है। जनवरी से नवंबर तक 12.50 लाख लोगों पर निरोधात्मक कार्रवाई हुई है, जबकि 3.35 लाख से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है। इस दौरान 4,528 हथियार और 28,414 कारतूस बरामद किये गये हैं।
पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर बिहार में राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। एनसीआरबी- 2023 के अनुसार जहां राष्ट्रीय औसत 66.20 है, वहीं बिहार में यह 37.50 दर्ज की गई है। इसी तरह अनुसूचित जाति- जनजाति वर्ग के खिलाफ अपराध की दर भी राष्ट्रीय औसत 12.40 के मुकाबले बिहार में 8.50 है, जबकि आरोप- पत्र दाखिल करने की दर 87.90 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि छात्राओं की सुरक्षा के लिये थाना स्तर पर अभया ब्रिगेड का गठन किया गया है और 855 थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई हैं। महिला सिपाहियों के लिये 2,000 स्कूटी खरीदने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है।
पुलिस महानिदेशक श्री कुमार ने कहा कि साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिये जल्द ही अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) स्तर के अधिकारी की निगरानी में एक विशेष इकाई बनाई जायेगी। बिहार उन चुनिंदा राज्यों में है जहां सभी जिलों में साइबर थाने कार्यरत हैं और इस वर्ष पहली बार एक हजार से अधिक साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी की गई है।
वहीं कारा महानिरीक्षक प्रणव कुमार ने बताया कि जेलों में कैदियों की मुलाकात, सुरक्षा और प्रशिक्षण के लिये नई आधुनिक व्यवस्थायें लागू की जा रही हैं। वहीं डायल- 112 सेवा का औसत रिस्पांस टाइम 14 मिनट है, जिसमें बिहार देश में दूसरे स्थान पर है।
अधिकारियों ने बताया कि नये आपराधिक कानूनों के तहत त्वरित जांच, अभियोजन और सजा पर फोकस किया जा रहा है। इस वर्ष अब तक लगभग तीन लाख लंबित मामलों का निपटारा किया गया है, जबकि पुलिस बल को मजबूत करने के लिये बड़े पैमाने पर बहाली प्रक्रिया भी जारी है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित