पटना , अक्टूबर 17 -- बिहार विधानसभा चुनाव के चढ़ते तापमान के बीच चुनाव प्रचार सामग्रियों का बाजार भी गरमाता जा रहा है।
बैनर, पोस्टर, झंडा- पताका, बैज और नेताओं के कटआउट जैसी पारंपरिक प्रचार सामग्रियों की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। पारंपरिक प्रचार आज भी ग्रामीण इलाकों में बड़ी ताकत हैं। यही कारण है कि शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में इन सामग्रियों की बिक्री अधिक हो रही है।
प्रचार सामग्री विक्रेताओं के अनुसार, चुनाव चिन्ह वाले झंडों की सबसे ज्यादा मांग है। झंडों के आकार और क्वालिटी के आधार पर इनकी कीमत 10 से 100 रुपये तक होती है। झंडों के बाद सबसे ज्यादा बिक्री पट्टा और बैज की हो रही है, जिसे समर्थक रैलियों और सभाओं में पहनते हैं।
नेताओं के कटआउट्स की भी चुनाव प्रचार में बड़ी मांग है। प्रत्येक कटआउट की कीमत 200 से 250 रुपये तक है। विक्रेताओं के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के कटआउट्स की मांग सबसे अधिक है। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटआउट्स लोकप्रिय हैं।
प्रचार सामग्री के थोक विक्रेताओं के अनुसार, बिहार में चुनावी प्रचार सामग्रियों का कुल बाज़ार इस बार औसतन 8 से 12 करोड़ रुपये तक का अनुमानित है। बड़े दल, विशेषकर जिनके बीच सीधी टक्कर है, वे अकेले 2 से 5 करोड़ रुपये तक की प्रचार सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, छोटी पार्टियों की प्रचार सामग्री रखने में व्यापारियों को नुकसान का डर रहता है, इसलिये वे सीमित स्टॉक ही रखते हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि बिहार की 90 प्रतिशत प्रचार सामग्री गुजरात के अहमदाबाद से मंगाई जा रही है, जबकि बाकी 10 प्रतिशत दिल्ली से पहुंच रही है। मांग के अनुसार प्रचार सामग्री विधानसभा क्षेत्रों में तेजी से पहुंचाई जा रही है।
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