पटना , दिसंबर 01 -- बिहार सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मछली पालकों को सहायता प्रदान करती है, जिसकी बदौलत राज्य मछली के उत्पादन में आत्मनिर्भर बना है।

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अन्तर्गत मत्स्य निदेशालय ने मछली पालन के प्रशिक्षण एवं प्रसार की योजना शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के मत्स्य कृषकों को नवीनतम मात्स्यिकी एवं मत्स्य पालन तकनीक में प्रशिक्षित करते हुए मछली के उत्पादन एवं इसके पालकों के वार्षिक आय में अभिवृद्धि करना है।

यह मत्स्य प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क है, जिसमें लाभार्थी के निबंधन शुल्क के अतिरिक्त कोई भी राशि नहीं ली जा रही है। इसका लाभ उठाने के लिए मछली पालकों के द्वारा 31 दिसंबर 2025 तक आवेदन किया जा सकता है। इस तिथि तक आवेदन करने वाले आवेदक योजना का लाभ उठा सकते है।

मत्स्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य के बाहर एवं राज्य के अंदर अवस्थित प्रतिष्ठित मात्स्यिकी संस्थानों में कुल 317 बैचों में राज्य के कुल 9455 मत्स्य कृषकों/मछुआरों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रशिक्षण योजनान्तर्गत केवल राज्य के बाहर के प्रशिक्षण संस्थानों में जाने-आने के लिये प्रशिक्षणार्थियों को मार्ग व्यय देय होंगी। साथ ही इस योजना के तहत राज्य के अन्दर के प्रशिक्षण संस्थानों/केन्द्रों में प्रशिक्षण हेतु मार्ग व्यय, अल्पाहार, भोजन आदि की अनुमान्यता नहीं होगी।

इस योजनान्तर्गत केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, काकीनाडा (आंध्रप्रदेश) में प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षणार्थी अपने निबंधन के लिये 250 रूपये एवं अन्य सभी प्रशिक्षण संस्थानों,केन्द्रों में प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षणार्थी एक सौ रूपये निबंधन शुल्क अपने जिले के मत्स्य कार्यालय में जमा कर सकेंगे। इच्छुक प्रशिक्षित मत्स्य पालकों को तीन वर्ष बाद ही पुनः प्रशिक्षण के लिये चयन किया जा सकेगा। इस चयन में पहली बार प्रशिक्षण लेने वाले इच्छुक मत्स्य कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगीआवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू हो चुकी है, और सभी इच्छुक लाभार्थी 31 दिसंबर तक पर आवेदन कर सकते है। आवेदन प्रक्रिया 31 दिसंबर तक चलेगी।

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