दरभंगा , अक्टूबर 10 -- बिहार के वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. अभिमन्यु प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश की भूमि केवल ज्ञान और दर्शन की नहीं, बल्कि क्रांति और प्रतिरोध की भी भूमि रही है।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में शुक्रवार को "बिहार में क्रांतिकारी आंदोलन" विषय पर एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. संजय झा की अध्यक्षता में हुआ।
व्याख्यान के मुख्य अतिथि डॉ. अभिमन्यु प्रसाद ने बिहार में क्रांतिकारी आंदोलन पर वैचारिक विमर्श की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार की भूमि केवल ज्ञान और दर्शन की नहीं, बल्कि क्रांति और प्रतिरोध की भी भूमि रही है। उन्होंने कहा कि जब भगत सिंह बिहार आए थे, तब उन्हें "रॉबिनहुड ऑफ बिहार" कहे जाने वाले योगेंद्र शुक्ल से हथियार चलाने का प्रशिक्षण मिला था। यह तथ्य दर्शाता है कि बिहार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में न केवल विचार, बल्कि संगठित संघर्ष की ऊर्जा भी दी।
डॉ. प्रसाद ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस केवल स्मरण दिवस नहीं, बल्कि संग्राम और अस्मिता का उत्सव है। आंचलिक उपन्यास के प्रणेता फणीश्वरनाथ रेणु के समग्र साहित्य में मौजूद ग्रामीण क्रांतिकारी भावना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रेणु ने अपने कथा-संसार में वही आवाज़ दर्ज की, जो अक्सर इतिहास की पुस्तकों में दबा दी जाती है।
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