श्रीनगर, सितंबर 26 -- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर - बेस अस्पताल में डॉक्टरों की सूझबूझ और समर्पण ने एक मासूम की जिंदगी बचा ली। रुद्रप्रयाग जिले का चार वर्षीय बच्चा बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस जैसी दुर्लभ और गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। यह बीमारी इतनी घातक होती है कि इसमें बचने की संभावना बेहद कम होती है। बीमारी की शुरुआत बुखार से हुई, जिसके बाद बच्चे ने धीरे-धीरे बोलना बंद कर दिया और आसपास के लोगों को पहचानना भी छोड़ दिया।
हालत बिगड़ने पर वह कोमा में चला गया। पूरे शरीर में लकवे का असर था और बच्चा स्वयं सांस भी नहीं ले पा रहा था। तो वही परिजनों ने उसे रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय से रेफर कर बेस अस्पताल श्रीनगर में भर्ती कराया। जहा विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तत्काल गहन जांच कर उपचार शुरू किया। बच्चे की बिगड़ी हुई हालत को देखते हुए उसे पाँच दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
डॉक्टरों की लगातार निगरानी और आधुनिक चिकित्सा पद्धति से धीरे-धीरे सुधार शुरू हुआ। करीब एक माह चार दिन के लंबे उपचार के बाद अब बच्चा न केवल स्वयं सांस ले पा रहा है बल्कि अपने हाथ-पैर भी हिलाने लगा है। फिलहाल वह खुद खाना खा रहा है और पैरों की ताकत भी लौट रही है।
बच्चे के पिता करनैल सिंह ने भावुक होकर कहा कि डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने हमारे मासूम बेटे को नई जिंदगी दी है।
अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने जिस टीम भावना और समर्पण के साथ इस गंभीर बीमारी से ग्रसित मासूम का इलाज किया, वह काबिले तारीफ है। बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस जैसी जटिल बीमारी में मरीज को जीवनदान मिलना संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह सफलता डॉक्टरों की दक्षता और यहां उपलब्ध आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का प्रमाण है।
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