लखनऊ, सितम्बर 27 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विशेष बच्चों के बाल गृह चलाने वाले दृष्टि नाम की सामाजिक संस्था को पैसा न देने पर सख्त रुख अपनाया है।
कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि बाल गृहों में रहने वाले छोटे बच्चों का भविष्य दांव पर है। कोर्ट ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के एक राजपत्रित अधिकारी और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के विशेष सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अगली सुनवाई पर नौ अक्तूबर को उपस्थित होने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने यह यह आदेश वर्ष 2008 में दाखिल अनूप गुप्ता की जनहित याचिका पर दिया। याचिका में प्रदेश के बालगृहों में रहने वाले बच्चों के कल्याण का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही बालगृहो की खस्ता हालत में सुधार के निर्देश जाति करने का आग्रह किया गया था।
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