बारां , दिसम्बर 02 -- राजस्थान में बारां जिले में यूरिया की किल्लत के चलते किसानों को सहकारी समितियों वितरण केंद्र के बाहर रातें गुजारनी पड़ रही हैं।

यूरिया की एक एक बोरी के लिये किसानाें को घंटों तक कंपकंपाती ठंड में वितरण केंद्र के खुलने का इंतजार करना पड़ रहा है। बारां जिले के क्रय-विक्रय सहकारी समितियों (केवीवीएस) के बाहर लगी किसानों की भीड़ किसानों की बेबसी को दर्शाती है। देर रात 11 बजे से खाद के लिए शुरू होने वाला यह संघर्ष अगली सुबह या दोपहर तक चलता है, जिसके बाद किसानों को यूरिया खाद मिल पाती है।

बारां जिले के अटरू, छबड़ा, छीपाबड़ौद, भंवरगढ़, केलवाड़ा, समरानिया जैसे प्रमुख कृषि क्षेत्रों में किसान अब सुबह होने का इंतजार नहीं कर रहे हैं। अपनी रबी की फसलों गेहूं, चना और सरसों को समय पर यूरिया की दूसरी खुराक देने की अत्यधिक आवश्यकता के चलते वे रात से ही वितरण स्थलों पर डेरा डाल रहे हैं। इस लंबी कतार में महिलाएं, बुजुर्ग और पुरुष किसान शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि यहां क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद वितरित किया जा रहा है। जहां किसान क्रय विक्रय सहकारी समिति पहुंचते हैं वहां लंबी कतार में लगते हैं। फिर वे अपनी टोकन रसीद कटवाने का इंतजार करते हैं। काउंटर पर बैठा कर्मचारी दो से पांच बैगों की रसीद काटता है। काटी गई रसीद पर कहां से खाद लेना है वह अंकित करता है। फिर किसान उस रसीद को लेकर या तो सहकारी गोदाम जाता है या फिर खाद विक्रेता डीलर के पास जाता है। जहां डीलर द्वारा किसानों को खाद तो दिया जाता है, लेकिन किसानों का यहां आरोप है कि डीलरों के पास यूरिया खाद लेने जाने के बाद वह अधिक राशि जोड़ देते हैं। खाद की अब इतनी किल्लत बढ़ गई है कि सहकारी समितियां के परिसर भी छोटे पड़ने लगे हैं।

जिला प्रशासन ने हालांकि दावा किया है की बारां में पर्याप्त मात्रा में खाद है। पिछले सप्ताह ही 2800 टन खाद की रेक पहुंची थी। दूसरी रेक अंता में खड़ी हुई है लेकिन पर्याप्त मात्रा में खाद है तो फिर किसानों को इतनी मेहनत और परिश्रम क्यों करवाया जा रहा है।

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