रीवा/भोपाल , दिसंबर 25 -- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि बसावन मामा गोवंश वन्य विहार प्राकृतिक खेती के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को समृद्ध बनाने का एक सफल प्रयोग है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय बढ़ेगी, जल संरक्षण होगा और उपभोक्ताओं को कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलेगी।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर गुरुवार को रीवा जिले के सिरमौर के पुर्वा गांव में आयोजित कृषक सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती गौमाता के गोबर और मूत्र पर आधारित एक परंपरागत प्रणाली है, जिसे हमने भुला दिया था। एक देसी गाय से 21 एकड़ तक खेती संभव है, वह भी बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के। उन्होंने बताया कि देश में अब तक 40 लाख किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं और उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है।
श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में गठित सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से प्राकृतिक खेती की उपज के सर्टिफिकेशन, वैज्ञानिक परीक्षण, पैकेजिंग, मार्केटिंग और निर्यात की व्यवस्था की गई है। आने वाले समय में देशभर में 400 से अधिक प्रयोगशालाएं प्राकृतिक उत्पादों का प्रमाण पत्र देंगी, जिससे किसानों की आय लगभग डेढ़ गुना तक बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार सहकारिता और जैविक खेती के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए संकल्पित है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ एमओयू किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रति गाय आहार अनुदान को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये किया गया है और राज्य अगले वर्ष को कृषि वर्ष के रूप में मनाएगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि विंध्य क्षेत्र से शुरू हुई प्राकृतिक खेती की यह पहल पूरे प्रदेश में फैलेगी। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री के विकास से विरासत के मंत्र के अनुरूप प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और वर्ष 2047 तक भारत को आत्मनिर्भर व विकसित राष्ट्र बनाने में इसकी अहम भूमिका होगी। कार्यक्रम में केंद्रीय व राज्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों तथा जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित