चंडीगढ़, सितंबर 26 -- पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने शुक्रवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पेश करते हुए राज्यभर में बाढ़ प्रभावित परिवारों, किसानों और बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए केंद्र से 20,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की।
सदन में "पंजाब का पुनर्वास" प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक विवरण साझा करते हुए श्री गोयल ने पंजाब के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की कड़ी आलोचना की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित राहत पैकेज को खानापूर्ति वाला, वास्तविक सहायता की बजाय महज़ मामूली खर्चों की पूर्ति करने वाला और एक दिखावा मात्र करार दिया।
श्री गोयल ने कहा कि इस साल आयी बाढ़ ने 1988 से भी अधिक तबाही मचाई है, जिसकी चपेट में 2300 से अधिक गाँव आए, लगभग 20 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए, पांच लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में खड़ी फसलें तबाह हो गईं, सात लाख लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े, 3200 से अधिक स्कूल, 19 कॉलेज, 1400 अस्पताल/क्लीनिक, लगभग 8500 किलोमीटर सड़कें और 2500 पुल/पुलियाँ या तो क्षतिग्रस्त हुईं या बह गईं।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में शुरुआती नुक़सान का अनुमान लगभग 13,900 करोड़ रुपये लगाया गया था। इसकी जानकारी होने के बावजूद केंद्र ने इस हकीकत से मुँह मोड़ते हुए खानापूर्ति के लिए महज़ 1600 करोड़ रुपये का ऐलान किया, जो विशेष अनुदान नहीं बल्कि सिर्फ़ रूटीन खर्चों के लिए थे। उन्होंने कहा कि इस राशि में से भी पंजाब को अभी तक कुछ नहीं मिला।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि यद्यपि पंजाब ने 20,000 करोड़ रुपये की राहत की मांग की थी लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया ऐलान राज्य की ज़रूरतों को पूरा करना तो दूर, उसके आस-पास भी नहीं है। उन्होंने इस कदम को महज़ एक दिखावा बताते हुए स्थिति की गंभीरता को समझने में केंद्र की पूरी नाकामी करार दिया। उन्होंने आपदा को और बढ़ाने के लिए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी) को भी ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अंतर-राज्यीय बैठकों को बुलाने के सख़्त प्रोटोकॉल के कारण पानी छोड़ने के फैसलों में देरी की गई। पंजाब ने भाखड़ा के 1660 फुट के स्तर को छूने पर पानी छोड़ने की अपील की थी लेकिन बोर्ड ने तब तक पानी छोड़ने से इंकार कर दिया जब तक पानी का स्तर 1665 फुट तक नहीं पहुँच गया, जिसके कारण लोगों की जान-माल को बड़ा ख़तरा पैदा हो गया।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित