शिमला , अक्टूबर 06 -- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बुखार से नौ बच्चों की मौत के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश के बद्दी में निर्मित नेक्सा डीएस कफ सिरप के नमूने जांच में पास हो गए। जांच में पता चला कि बच्चों की मौत नेक्सा सिरप पीने से नहीं हुई थी।
हिमाचल औषधि विभाग ने इस रिपोर्ट पर राहत की सांस ली है। स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को नेक्सा डीएस सिरप के साथ-साथ मध्य प्रदेश भेजे जाने वाले अन्य सभी सिरप के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया था। नमूनों के पास होने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में नेक्सा डीएस कफ सिरप पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है।
इस बीच तमिलनाडु से आए कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूने घटिया पाए गए। जिसके कारण कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया। छिंदवाड़ा के परसिया ब्लॉक में 7 सितंबर से अब तक बुखार और किडनी फेल होने से नौ बच्चों की मौत हो चुकी है।
परिजनों के अनुसार बच्चों को पहले बुखार और सर्दी-ज़ुकाम हुआ, उसके बाद किडनी में संक्रमण हो गया। निजी अस्पतालों में भर्ती होने के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती गई। नागपुर में उनका इलाज चला लेकिन बच्चों की बचाया नहीं जा सका।
इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार और औषधि नियंत्रक को पत्र लिखकर तमिलनाडु की कफ सिरप कोल्ड्रिफ और बद्दी में बनी नेक्सा डीएस सिरप की जांच का अनुरोध किया। नेक्सा डीएस का निर्माण एक्विनोवा फार्मा द्वारा किया जाता है।
हिमाचल के राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि मध्य प्रदेश औषधि विभाग ने नेक्सा डीएस सिरप की जांच की थी, जिसमें दवा को मंजूरी दी गई थी। उन्हें मध्य प्रदेश औषधि विभाग से रिपोर्ट मिल गई है।
उन्होंने बताया कि नेक्सा डीएस में एथिलीन ग्लाइकॉल और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे कोई हानिकारक रसायन नहीं पाए गए। इस बीच तमिलनाडु की कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे और बच्चों की मौत के लिए इसी दवा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में निर्मित नेक्सा डीएस कफ सिरप के पांच कंपनियों और दवा विक्रेताओं से नमूने एकत्र किए। ये नमूने जांच में सुरक्षित पाए गए। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा की देखरेख में राज्य और केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने पिछले शनिवार को सिरप के नमूने एकत्र किए।
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