रायपुर , अक्टूबर 23 -- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता और सांसद संतोष पाण्डेय ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तीखा पलटवार करते हुए कहा है कि श्री बघेल को प्रदेश सरकार की नक्सल नीति पर कुछ भी कहने का नैतिक अधिकार नहीं है।

श्री पाण्डेय ने गुरुवार को यहां कहा कि जिस कांग्रेस ने लगातार नक्सलवादियों के साथ भाईचारा निभाया, वह कांग्रेस अब भाजपानीत केंद्र व प्रदेश सरकार के नक्सल विरोधी ऑपरेशन से तिलमिलाई हुई है। वस्तुतः 2014-2024 का यह दशक नक्सली-उन्मूलन के लिहाज से एकता, रणनीति और साहस से रचे गए नए इतिहास के लिए जाना जा रहा है।

श्री पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस के नेता जिन नक्सलियों की सरेआम रहनुमाई करते और उन्हें भटका हुआ मासूम बताते नहीं थकते, उन्हीं नक्सलियों ने कांग्रेस के सत्तावादी संरक्षण में हजारों-हजार निर्दोष नागरिकों, सुरक्षा जवानों, आदिवासियों व जनप्रतिनिधियों का खून बहाकर रक्तरंजित इतिहास लिखा है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के पक्ष में खड़ी नजर आने वाली कांग्रेस आज भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार को नक्सल-नीति पर ज्ञान परोसकर अपने दिमागी दीवालियापन का प्रदर्शन कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में नक्सलवाद के खात्मे के संकल्प की पूर्ति कर रहे हैं, तो काँग्रेस को यह रास नहीं आ रहा है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार मार्च 2026 तक नक्सलियों के खात्मे के लिए कृत संकल्पित है और इस संयुक्त अभियान में नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया है। सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सली ढेर किए और गिरफ्तार किए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव बघेल को कोई भी ज्ञान परोसने से पहले इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि यूपीए शासनकाल के 2004-2014 के दशक में नक्सली हिंसा की 16,463 घटनाएँ हुईं, 1,851 सुरक्षा जवान शहीद हुए, 4,766 नागरिकों की हत्या हुई। कांग्रेस नीत सरकार के इस कार्यकाल में देशभर में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी जबकि पोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन महज 66 ही थे। इसके उलट भाजपा नीत सरकार के 2014-2024 के दशक में नक्सली हिंसा की घटनाएँ घटकर 7,744 रह गईं, इस पूरे दशक में सुरक्षा जवानों की शहादत का आँकड़ा घटकर 509 रह गया, नागरिक हत्याएँ भी सिर्फ 1,495 हुईं। इस दशक में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2024 तक सिर्फ 18 ही रह गई थी, जो अब सिर्फ पांच रह गई है। इसी प्रकार, पोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन की संख्या बढ़कर 576 हुई है।

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