कोलकाता , नवंबर 22 -- चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी की ओर से तीन जिलाधिकारी के खिलाफ़ की गई शिकायतों की समीक्षा कर रहा है।

गौरतलब है कि जिलाधिकारी जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ ) के तौर पर भी काम करते हैं। इन पर तीनों जिलाधिकारियों पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप है।

श्री अधिकारी ने अपने गृह जिला पूर्वी मिदनापुर के साथ-साथ हुगली और पूर्वी बर्दवान के जिलाधिकारियों के खिलाफ शिकायत की है। उन्होंने ये शिकायतें चुनाव आयोग की केंद्रीय टीम को सौंपी हैं, जो इस हफ़्ते एसआईआर प्रक्रिया की समीक्षा करने के लिए राज्य के दौरे पर आई थी। उन्होंने कहा, "मैंने आयोग को उन मामलों के बारे में बताया जहाँ ये जिलाधिकारी जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे थे। ऐसी शिकायतें मिली हैं कि वे बूथ-लेवल अधिकारियों पर बेवजह दबाव डाल रहे हैं।"मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर यूनीवार्ता को बताया, "हमें शिकायतें मिली हैं और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं। समीक्षा के बाद अगर हमें कुछ भी ठोस मिलता है तो कार्रवाई शुरू की जाएगी।"श्री अधिकारी ने एसआईआर प्रक्रिया में कई जिलाधिकारियों की भूमिका पर बार-बार सवाल उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस दावे का जवाब दिया कि बूथ-लेवल ऑफिसर काम के बोझ की वजह से स्ट्रेस में थे और इसके बजाय आरोप लगाया कि कुछ डीएम मतदाता सूची की जांच के दौरान अधिकारी को 'गलत काम' करने के लिए मजबूर कर रहे है। उन्होंने दावा किया कि पूर्वी मिदनापुर, हुगली और पूर्वी बर्दवान में डीएम सह डीईओ 'फुल-टाइम तृणमूल कांग्रेस इलेक्शन एजेंट' की तरह काम कर रहे है, और बूथ-लेवल अधिकारी पर जिला स्तर या डेटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता के साथ आधिकारिक ओटीपी शेयर करने के लिए दबाव डाल रहे है। उन्होंने कहा कि इस कथित दबाव का मकसद 'बीएलओ' ऐप का गलत इस्तेमाल करके वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ करना है, जिसे अभी एसआईआर प्रक्रिया के ज़रिए अपडेट किया जा रहा है।

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