कोलकाता , दिसंबर 05 -- पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग द्वारा लिखित स्पष्टीकरण मांगे जाने के केवल तीन दिनों के भीतर गैर एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) योग्य बूथों की संख्या 2,208 से घटकर केवल सात रह गई है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल में 2,208 मतदान केंद्रों को गैर एसआईआर योग्य होने का दावा किया गया था, इससे स्पष्ट होता है कि बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा प्रस्तुत गणना फार्मों में बड़े पैमाने पर विसंगतियां थीं।

प्रारंभ में, जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) ने बताया था कि पूरे राज्य में 2,208 मतदान केंद्रों पर पिछले एक वर्ष में एक भी मतदाता की न तो मौत हुई है और न वह दूसरी जगह गया है। जैसे ही चुनाव आयोग ने जिलों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी तो उनकी संख्याएं कम होने लगीं। बुधवार तक यह आंकड़ा घटकर 480 रह गया था। गुरुवार को संशोधित सूची में पता चला कि पूरे राज्य में केवल सात बूथों पर ही न कोई मृत्यु, स्थानांतरण, लापता मतदाता या डुप्लिकेट प्रविष्टियां थीं।

आयोग के अनुसार, ऐसे बूथ जलपाईगुड़ी, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया में एक-एक और मालदा में दो हैं।इन सात बूथों पर वितरित प्रत्येक गणना फार्म को भरकर वापस कर दिया गया तथा कोई भी मतदाता मृत, स्थानांतरित, लापता या एक से अधिक बार सूचीबद्ध नहीं पाया गया।

दक्षिण 24 परगना में यह विसंगति सबसे ज़्यादा दिखाई दी। पहले बताया गया था कि ज़िले के 760 मतदान केंद्रों पर एक भी मृत या दूसरे जगह जाने वाला मतदाता नहीं था। सत्यापन के बाद, यह संख्या घटकर सिर्फ़ एक रह गई है। चुनाव आयोग द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद कई जिलों से इसी प्रकार के सुधार सामने आए हैं।

राज्य में आयोग की चिंता केवल उन बूथों तक ही सीमित नहीं है जहां से एक भी फॉर्म प्राप्त नहीं हुए हैं बल्कि वह एक अलग और गंभीर मुद्दे से भी जूझ रहा है जो 2025 की मतदाता सूची में माता-पिता के विवरण में व्यापक विसंगतियां हैं।आयोग ने 30 विधानसभा क्षेत्रों में 30 बूथों की पहचान की है जहां बड़ी विसंगतियां पाई गई हैं, जिसके बाद बंगाल के सभी मतदान केंद्रों पर वंशावली संबंधी जानकारी के लिए तत्काल निर्देश जारी किए गए हैं।

निर्वाचन सदन की आईटी टीम द्वारा राज्य के 7.66 करोड़ मतदाताओं के लिए अपलोड किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने पर विसंगतियों का पता चला। उन्होंने पाया कि कई मतदाता जो 2002 की मतदाता सूची में नहीं थे, उनके माता-पिता के नाम 2025 की प्रविष्टियों से मेल नहीं खाते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर लिपिकीय या जानबूझकर की गई त्रुटियों का संकेत मिला।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल की जांच में व्यापक विसंगतियों की पुष्टि हुई है।त्रुटियों की व्यापकता के कारण 30 लाख मतदाता प्रभावित हो सकते हैं इसलिए चुनाव आयोग ने बीएलओ को बूथ स्तर पर तुरंत वंशावली सत्यापन करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों को सात दिनों के भीतर सही रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

बूथों की घटती संख्या और अभिभावकों के आंकड़ों में विसंगति, जारी एसआईआर प्रक्रिया में व्यापक विसंगतियां की ओर इशारा करते हैं, जिससे चुनाव आयोग को 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एसआईआर करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य में चार नवंबर को शुरू हुई एसआईआर प्रक्रिया में बीएलओ द्वारा गणना फॉर्म वितरित एवं एकत्रित करना तथा डेटा को आयोग के पोर्टल पर अपलोड करना शामिल है।

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