जयपुर , नवंबर 28 -- फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल जयपुर में शुक्रवार को राजस्थान का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एंड एडवांस्ड थेरपेटिक जी आई एंडोस्कोपी विभाग का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इसका शुभारंभ किया। इस मौके श्री तिवाड़ी ने कहा कि यह जयपुर एवं राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने एआई को मानव प्रतिभा का विस्तार बताते हुए कहा कि इससे रोजगार और सुविधा बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए वर्ष 2035 तक 967 हजार अरब डालर की एआई के द्वारा कमाई होने वाली हैं और केन्द्र सरकार ने इस पर काम भी शुरू कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि यह आधुनिक उपकरण मानव सहायक एवं सुरक्षित करने के लिए हैं जो लाभदायक होगा।
अस्पताल के एआई एंड एडवांस्ड थेरपेटिक जी आई एंडोस्कोपी विभाग के सीनियर डायरेक्टर और हेड डाॅ श्याम सुंदर शर्मा ने मीडिया को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी बीमारियों के डायग्नोसिस के लिए स्टेट-ऑफ-द-आर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में एक बड़ी तरक्की है। यह नयी एआई पावर्ड एंडोस्कोपी टेक्नोलॉजी डॉक्टर के लिए 'तीसरी आंख' की तरह काम करती है, जो छोटी-छोटी असामान्यताओं का भी पता लगा लेती है, जो पारंपरिक एंडोस्कोपिक प्रोसीजर के दौरान शायद पता न चलें। प्रोसीजर के दौरान, चाहे गैस्ट्रोस्कोपी (ऊपरी एंडोस्कोपी) हो या कोलोनोस्कोपी (बड़ी आंत की एंडोस्कोपी) - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंडोस्कोपी रियल टाइम में वीडियो फीड को एनालाइज करती है। अगर इसे कोई संदिग्ध जगह दिखती है, तो यह तुरंत स्क्रीन पर एक हाइलाइट किया हुआ बॉक्स बनाती है, जिससे चिकित्सक को करीब से देखने के लिए अलर्ट मिलता है।
उन्होंने बताया कि बेहतर कलर विज़ुअलाइज़ेशन और हाई-ज़ूम कैपेबिलिटी छोटे बदलावों को शार्प फोकस में लाने में मदद करती हैं, जिससे डायग्नोस्टिक एक्यूरेसी बेहतर होती है। इस वजह से, शुरुआती स्टेज की बीमारियों को अक्सर एंडोस्कोपिक रिमूवल से मौके पर ही पहचाना और इलाज किया जा सकता है, बिना ज़्यादा इनवेसिव सर्जरी की ज़रूरत के। यह प्रोसीजर जल्दी (लगभग आठ-दस मिनट) होता है और हल्के सेडेशन के साथ, लगभग दर्द रहित होता है और मरीज़ को आमतौर पर एक घंटे के अंदर छुट्टी दे दी जाती है।
उन्होंने कहा कि एआई एंडोस्कोपी पेट से जुड़ी बीमारियों के डायग्नोसिस में एक क्रांतिकारी तकनीक है। एआई से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शुरुआती स्टेज में पता लगाना और कई मामलों में बिना सर्जरी के एंडोस्कोपी से ही उनका इलाज करना मुमकिन हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद मरीजों को वर्ल्ड-क्लास, सटीक और सुरक्षित डायग्नोस्टिक सर्विस देना है, ताकि गंभीर बीमारियों को समय पर रोका जा सके।
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