जयपुर , दिसम्बर 04 -- राजस्थान में विदेश से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद भारत में अनिवार्य फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) पास न करने वाले तीन व्यक्तियों को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एसओजी) विशाल बंसल ने बताया कि एसओजी को सूचना मिली थी कि डा पीयूष कुमार त्रिवेदी निवासी दौसा ने एफएमजीई परीक्षा में बार-बार असफल होने के बावजूद एक आपराधिक गिरोह की मदद से फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट तैयार करा लिया। इसी फर्जी प्रमाणपत्र के दम पर उसने एनएमसी से इंटर्नशिप की अनुमति प्राप्त की और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज करौली में इंटर्नशिप के लिए आवंटन भी मिल गया था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसओजी ने प्रकरण दर्ज कर गहन जांच शुरू की।
जांच में सामने आया कि आरोपी पीयूष ने जॉर्जिया से एमबीबीएस की डिग्री ली थी लेकिन भारत में प्रैक्टिस करने के लिए अनिवार्य एफएमजीई परीक्षा में वह 2022, 2023 और 2024 में लगातार तीन बार असफल रहा। बार-बार फेल होने पर उसने अपने परिचित डा देवेन्द्र सिंह गुर्जर से संपर्क किया। देवेन्द्र ने अपने साथी डा शुभम गुर्जर एवं अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पीयूष को 16 लाख रुपए के बदले फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट और एनएमसी रजिस्ट्रेशन दिलवाया।
एसओजी की गहन जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि यह गोरखधंधा केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं था। डा शुभम गुर्जर ने खुद भी फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट के आधार पर राजीव गांधी अस्पताल, अलवर में और डा देवेन्द्र सिंह गुर्जर ने भी इसी गिरोह के माध्यम से नकली प्रमाणपत्र प्राप्त किया और राजकीय मेडिकल कॉलेज दौसा में अपनी इंटर्नशिप पूर्ण की।
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