लखनऊ , दिसंबर 25 -- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम पर चल रहे बड़े साइबर फ्रॉड का स्पेशल टास्क फोर्स उत्तरप्रदेश (यूपी एसटीएफ) ने खुलासा किया है। आम नागरिकों के नाम पर अवैध रूप से आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले इस गिरोह के मास्टरमाइंड समेत सात आरोपियों को एक दिन पूर्व लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के पास से भारी मात्रा में अवैध दस्तावेज,लैपटॉप सहित एटीएम, आर्टिगा समेत 60370 रुपये बरामद किए हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में चन्द्रभान वर्मा , राजेश मिश्रा , सुजीत कनौजिया , सौरभ मौर्या , विश्वजीत सिह , रंजीत सिह और अंकित यादव शामिल हैं। एसटीएफ के मुताबिक, यह गिरोह लंबे समय से फर्जी तरीकों से लोगों की फैमिली आईडी में हेरफेर कर आयुष्मान कार्ड तैयार करता था। बाद में इन्हीं कार्डों के जरिए निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज दर्शाकर सरकार से भुगतान लिया जाता था, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व क्षति हो रही थी।
गोपनीय सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर एक दिन पूर्व 24 दिसंबर की रात गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में छापा मार कर गिरफ्तारी की है। जांच में सामने आया कि आरोपी आईएसए (इम्प्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी) और एसएचए (स्टेट हेल्थ एजेंसी- पीएमजेएवाई) से जुड़े पोर्टल का दुरुपयोग कर रहे थे। पूछताछ में यह भी सामने आया कि गिरोह में साइबर कैफे संचालक, पूर्व आईएसए कर्मचारी, अस्पतालों से जुड़े ऑपरेटर और डेटा एंट्री से संबंधित लोग शामिल थे।
आरोपियों ने स्वीकार किया है कि वे 2500 से 6000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाते थे। अब तक करीब 2000 से अधिक फर्जी कार्ड बनाए जाने की बात सामने आई है। इन कार्डों के माध्यम से कई अस्पतालों में इलाज दिखाकर सरकारी भुगतान प्राप्त किया गया और रकम आपस में बांटी गई।
पूछताछ में मास्टरमाइंड ने यह भी खुलासा किया है कि कुछ अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारी भी इस नेटवर्क से जुड़े थे, जो फर्जी कार्ड धारकों का इलाज दिखाकर क्लेम पास कराने में मदद करते थे। एसटीएफ अब इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों, अस्पतालों और एजेंसियों की भूमिका की गहन जांच कर रही है।
इस मामले में थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में आईटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
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