अहमदाबाद , नवंबर 06 -- पश्चिम रेलवे (परे) के महाप्रबंधक के सचिव सचिन शर्मा ने मलेशिया के लंगकवी द्वीप पर आयोजित विश्व प्रसिद्ध आयरनमैन मलेशिया ट्रायथलॉन को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक द्वारा गुरुवार को यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्री शर्मा ने हाल ही में मलेशिया के लंगकवी द्वीप पर आयोजित विश्व प्रसिद्ध आयरनमैन मलेशिया ट्रायथलॉन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह अंतरराष्ट्रीय धीरज प्रतियोगिता दुनिया की सबसे कठिन खेल चुनौतियों में से एक मानी जाती है और इसमें 3.8 किमी खुले समुद्र में तैराकी, उसके बाद 180 किमी साइकिलिंग और 42.2 किमी की पूर्ण मैराथन दौड़ शामिल है, जो कुल 226 किमी की दूरी तय करती है।
श्री अभिषेक ने बताया कि लंगकावी की गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु ने इस प्रतियोगिता को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया। दौड़ की शुरुआत मनोरम पंताई कोक बीच से हुई, जहां प्रतिभागियों ने मध्यम ज्वार के साथ क्रिस्टल साफ़ समुद्र के पानी में तैराकी की। तैराकी के तुरंत बाद एथलीटों ने घने उष्णकटिबंधीय जंगलों को चीरती सुरम्य तटरेखा और खड़ी पहाड़ी सड़कों से गुजरते हुए 180 किलोमीटर के साइकिलिंग रूट पर कदम रखा। यह बाइकिंग कोर्स आयरनमैन स्पर्धाओं में सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है, जिसमें लगभग 1600 मीटर की ऊँचाई और कई कठिन चढ़ाई शामिल हैं। अंतिम दौड़ महसूरी अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र से शुरू हुआ और खूबसूरत चेनांग बीच पर समाप्त हुआ। दौड़ का रास्ता हालांकि अपेक्षाकृत समतल था, लेकिन गर्मी और उमस ने प्रत्येक प्रतिभागी की सहनशक्ति और लचीलेपन की कड़ी परीक्षा ली।
उन्होंने बताया कि श्री शर्मा ने पूरी दौड़ के दौरान अद्भुत दृढ़ संकल्प, अनुशासन और मानसिक शक्ति का परिचय दिया। जैसे ही वे ज़ोरदार जयकारों के बीच अंतिम चरण में पहुंचे, कार्यक्रम के उद्घोषक ने गर्व से घोषणा कि "सचिन, आप एक आयरनमैन हैं", जिससे ट्रायथलॉन का उनका आधिकारिक समापन चिह्नित हुआ। दौड़ पूरी करने के बाद उन्हें प्रतिष्ठित फ़िनिशर मेडल, फ़िनिशर टावर सिक्का और आधिकारिक आयरनमैन फ़िनिशर जर्सी प्रदान की गयी, जो उनकी उपलब्धि का प्रतीक है।
श्री शर्मा एक उत्साही धीरज एथलीट हैं और पिछले कुछ वर्षों में लगभग 60 से 70 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग ले चुके हैं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कॉमरेड्स अल्ट्रा मैराथन को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जो दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण अल्ट्रा-डिस्टेंस रोड रेस में से एक है। उन्होंने जैसलमेर में बॉर्डर रेस (जिसे हेल रेस भी कहा जाता है) में भी भाग लिया है, जो अपनी चरम रेगिस्तानी परिस्थितियों के लिए जाना जाता है और लद्दाख में सिल्क रूट अल्ट्रा रेस में भी भाग लिया है, जो उच्च ऊंचाई वाले हिमालयी भूभाग पर आयोजित होती है। उनकी सहनशक्ति में उत्कृष्टता की निरंतर खोज और अनुशासित फिटनेस दिनचर्या, रेलवे परिवार के कई सदस्यों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का स्रोत रही है। उनकी यह उल्लेखनीय उपलब्धि पश्चिम रेलवे के लिए गौरव की बात है, जो फिटनेस, सहनशक्ति और समग्र स्वास्थ्य के प्रति अपने अधिकारियों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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