पटना , अक्टूबर 17 -- बिहार राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अब विज्ञान को प्रोजेक्ट और मॉडल के माध्यम से समझ रहे हैं, जिससे न केवल उनकी जिज्ञासा शांत हो रही है, बल्कि सीखने की प्रक्रिया भी अधिक रचनात्मक और अनुभवात्मक हो रही है।

यह बात राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के उप- निदेशक संजय कुमार ने शुक्रवार को कहीं। वे पटना में एससीईआरटी और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (पीबीएल) पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

उप- निदेशक श्री कुमार ने कहा कि, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग शिक्षकों के लिये एक सशक्त मंच है जो उन्हें सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं रखता, बल्कि विद्यार्थियों के साथ मिलकर सीखने, खोजने और समाधान तलाशने की ओर प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि, 'सीमित संसाधनों के बावजूद यदि शिक्षक और विद्यालय प्रमुख नवाचार करें तो सरकारी स्कूलों में भी उल्लेखनीय बदलाव संभव है।'बीईपी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शाहिद मोबिन ने इस अवसर पर जिला तकनीकी समूहों और जिला शिक्षक समन्वयकों के साथ बीते तीन माह में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग कार्यक्रम की प्रगति की साक्ष्य- आधारित समीक्षा की। कार्यशाला में आगामी छह माह की कार्य योजना, बेसलाइन सर्वे और पीबीएल के प्रभाव का मूल्यांकन जैसे बिंदुओं पर भी गंभीर विमर्श हुआ।

प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों में मधेपुरा, लखीसराय, कैमूर, भोजपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, अरवल, दरभंगा, गया, मुंगेर और रोहतास के नाम शामिल हैं।

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