नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को यहां भारत मंडपम में आयोजित हरित हाइड्रोजन पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच 2025) के उद्घाटन सत्र में बायोमास तथा अपशिष्ट पदार्थों से हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये नवीन तकनीकों के विकास हेतु पायलट परियोजनाओं हेतु 100 करोड़ रुपये के प्रस्तावों की घोषणा की।
इस अवसर केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) का आधिकारिक लोगो भी लॉन्च किया।
श्री जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को गति देने के साथ रोज़गार सृजित कर रहा है और निवेश को भी आकर्षित कर रहा है। यह भारत को हरित हाइड्रोजन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।
उन्होंने इसके लोगो के बारे में बताया कि देश भर से प्राप्त 2,500 से अधिक प्रविष्टियों में से एनजीएचएम के लिये इस लोगो का चयन किया गया। यह भारत की हरित यात्रा में जन भागीदारी और मिशन को संचालित करने वाली सामूहिक भावना एवं रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है।
श्री जोशी ने कहा कि 19,744 करोड़ के व्यय के साथ 2023 में शुरू किया गया एनजीएचएम न केवल एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में कठिनाई वाले क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने का एक वैश्विक समाधान भी है।
श्री जोशी ने हरित हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक समाधान (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम की प्रगति का उल्लेख करते हुये कहा कि घरेलू इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण के लिए 3,000 मेगावाट प्रति वर्ष और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 8.62 लाख टन प्रति वर्ष प्रोत्साहन प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि भारत अब 7.24 लाख टन प्रति वर्ष उत्पादन के लिए 49.75 प्रति किलोग्राम रुपये के साथ दुनिया में सबसे कम हरित अमोनिया मूल्य दर्ज करता है।
श्री जोशी ने कहा कि इसके अलावा हरित इस्पात के लिए पांच पायलट परियोजनाओं में 132 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, और 37 हाइड्रोजन-ईंधन वाले वाहनों और नौ ईंधन भरने वाले स्टेशनों के लिए 208 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके साथ ही वीओ चिदंबरनार बंदरगाह पर देश की पहली हाइड्रोजन बंकरिंग और ईंधन भरने की सुविधा के लिए 35 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं।
श्री जोशी ने नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि मंत्रालय हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए बायोमास और अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करने वाली पायलट परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करेगा। इन पायलट परियोजनाओं के लिए कुल 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त मिशन के तहत स्टार्टअप्स के लिए पहले से ही 100 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। वहीं उद्योगों, स्टार्टअप्स और अनुसंधान संस्थानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना को जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।
श्री जोशी ने बताया कि हाइड्रोजन से संबंधित 43 कौशल योग्यताओं को मंजूरी दी गई है तथा 6,300 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रमाणित किया गया है।इसमें 128 तकनीकी मानकों के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन मानक (2023) और प्रमाणन योजना (2025) जैसे मजबूत ढांचे लागू हैं।
श्री जोशी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के नेताओं, नवप्रवर्तकों और नीति निर्माताओं के एक वैश्विक समागम का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक लक्ष्य - एक स्वच्छ, उज्जवल और अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण से एकजुट हैं।
उन्होंने कहा कि आईसीजीएच-2025 सम्मेलन वैश्विक सहयोग और सामूहिक कार्रवाई का एक मंच है। इस अवसर पर सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद ने कहा कि हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा परिवर्तनों में से एक के प्रति देश की वैज्ञानिक दिशा और नीतिगत दृष्टिकोण के लिये एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।
उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) सभी चार प्रमुख स्तंभों - नीति, मांग सृजन, अनुसंधान एवं विकास, और सक्षम बुनियादी ढाँचे पर लगातार प्रगति कर रहा है। भारत को कई अन्य देशों की तुलना में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में कम लागत का एक विशिष्ट लाभ प्राप्त है,जो इसे यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे बाजारों में एक प्रमुख निर्यातक बनने में सक्षम बनाएगा।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि आईसीजीएच नीतिगत संवाद और नवाचार के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने बताया कि भारत की गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता अब 250 गीगावाट से अधिक है, जिसमें लगभग 130 गीगावाट सौर ऊर्जा, 50 गीगावाट से अधिक पवन ऊर्जा, और 17 गीगावाट जैव-ऊर्जा एवं लघु जलविद्युत शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर भारत 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की राह पर है।
उन्होंने कहा कि इस मिशन से आठ लाख करोड़ से अधिक का निवेश आने, छह लाख रोजगार सृजित होने और सालाना जीवाश्म ईंधन आयात में एक लाख करोड़ रुपये बचत होने की उम्मीद है।
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