नैनीताल , अक्टूबर 16 -- उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर स्थित प्रसिद्ध प्राग फार्म की जमीन पर खड़ी फसल की कटाई और बिक्री सबंधी उच्च न्यायालय की एकलपीठ के आदेश पर फिलहाल रोक लग गयी है और इस मामले में शुक्रवार को पुनः सुनवायी होगी।

एकलपीठ के आदेश को अपीलकर्ता माधवी अग्रवाल और अन्य की ओर से विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी गई। अपीलकर्ता के अधिवक्ता टीए खान ने बताया कि न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने एक आदेश जारी कर राज्य सरकार के हक में फैसला देते हुए कहा कि प्राग फ़ार्म की भूमि पर खड़ी फसल की बिक्री सरकार करेगी और पैसे को एक अलग खाते में रखेगी।

इस आदेश के खिलाफ अपील की गयी। इस मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुयी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एकलपीठ का फैसला गलत है। सरकार ने जमीन पर कब्जा ले लिया है लेकिन इस भूमि पर खड़ी फसल पर उसका हक है।

दूसरी ओर सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया है प्रावधान राज्य सरकार के पक्ष में है और फसल की बिक्री राज्य सरकार की ओर से किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि ऊधमसिंह नगर जिला प्रशासन ने फसल काट दी है। हालांकि अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि अभी फसल खड़ी है।

इसके बाद खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1933 में ब्रिटिश सरकार के लीज सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने किच्छा तहसील की 12 गांवों की 5193 एकड़ भूमि प्राग नारायण अग्रवाल को 99 वर्ष की लीज पर दी थी।

वर्ष 1938 में प्राग नारायण अग्रवाल की मृत्यु के बाद जमीन उनके वारिस केएन अग्रवाल और शिव नारायण अग्रवाल के नाम हो गयी। आजादी के बाद महाराजपुर और श्रीपुर की जमीन विस्थापितों को आवंटित कर दी गयी। इसके पश्चात् वर्ष 1966 में ठेका श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम के तहत लीज निरस्त कर दी गयी।

इस दौरान कुल 4034.03 एकड़ भूमि शेष रह गयी थी। इसमें से एक पक्षकार की 1972.75 एकड़ जमीन को वर्ष 2014 में सरकार अपने में निहित कर ली थी। शेष 1914 एकड़ भूमि को तीन नवंबर, 2022 में जिलाधिकारी न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार में निहित कर दी गयी।

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