चंडीगढ़ , अक्टूबर 08 -- पारदर्शिता और आपसी सहमति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पंजाब के वित्त मंत्री और कर्मचारियों के मसलों के समाधान के लिए गठित कैबिनेट सब-कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने बुधवार को प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि कर्मचारियों की मांगों और मसलों से संबंधित प्रस्तावों को वित्त विभाग, कार्मिक विभाग या कैबिनेट सब-कमेटी को मंजूरी के लिए भेजने से पहले उन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में संबंधित यूनियन नेताओं को भी शामिल किया जाये।
श्री चीमा ने ये निर्देश ठेका मुलाजम संघर्ष मोर्चा, मुलाजम ते पेंशनर्स साझा मोर्चा, पंजाब राज वेटरनरी इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन और होम गार्ड वेलफेयर एसोसिएशन (सेवानिवृत्त) के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा के दौरान दिये।
उन्होंने कहा, ''यूनियन नेताओं से परामर्श का यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि अंतिम प्रस्ताव जमीनी हकीकत को सही ढंग से दर्शाते हुए कर्मचारियों द्वारा उठाये गये मुद्दों का उचित समाधान करें, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता या शिकायत की कोई गुंजाइश न रहे।''सिविल सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में इन चार कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशनों के साथ हुई सार्थक बैठकों की इस श्रृंखला के दौरान, वित्त मंत्री ने यूनियन नेताओं द्वारा प्रस्तुत की गयी चिंताओं और मांगों को सहानुभूति के साथ सुना। इस दौरान संबंधित प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों ने वित्त मंत्री को अवगत कराया कि अधिकांश जायज मांगों पर पहले से ही विचार किया जा रहा है और उनका समाधान प्रक्रिया में है। इस पर यूनियनों के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री का उनके सहानुभूतिपूर्ण और विस्तार से सुनवाई करने के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने दोहराया कि कैबिनेट सब-कमेटी सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को स्पष्ट और कार्यान्वयन योग्य सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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