पटना , दिसंबर 23 -- बिहार ग्रामीण कार्य विभाग ने मंगलवार को विभाग के सभी कार्य प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंताओं को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में क्यूआर कोड आधारित फीडबैक प्रणाली का कार्यान्वयन करने का निर्देश जारी किया गया है।

अब ग्रामीण सड़कों का रख-रखाव सार्वजनिक भागीदारी के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए इसके रख-रखाव की प्रक्रिया में व्यापक सुधार की जा रही है। ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा विभाग के सभी कार्य प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंताओं को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में क्यूआर कोड आधारित फीडबैक प्रणाली का कार्यान्वयन करने का निर्देश मंगलवार को जारी किया गया है।

विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को और अधिक पारदर्शी तथा कुशल बनाने के लिए अब ग्रामीण सड़कों के किनारे लगे रख-रखाव वाले बोर्ड पर सड़कों का क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। इस क्यूआर कोड के माध्यम से कोई भी नागरिक या इस सड़क का उपयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड स्कैन करके संबंधित सड़क की पूरी जानकारी हासिल कर सकता है, जिससे ग्रामीण सड़कों के रखरखाव संबंधी समस्याओं, जैसे सड़क पर बने गड्ढे और उसमें हुई टूट-फूट की तस्वीरें खींचकर सड़क संबंधी हर तरह का फीडबैक सीधे विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा। जिसके बाद यह डेटा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / मशीन लर्निंग द्वारा विश्लेषित होकर इंजीनियरिंग स्टाफ को प्रदर्शन मूल्यांकन में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित प्रत्येक सड़क के लिए एक विशिष्ट क्यूआर कोड ईमार्ग पोर्टल के माध्यम से जेनरेट किया जाता है। ई-मार्ग भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय का एक इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस पोर्टल है, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी ग्रामीण सड़कों के रखरखाव को मैनेज और मॉनिटर करता है। यह ठेकेदारों, अधिकारियों और संबंधित लोगों के लिए सड़कों के रखरखाव, बिलिंग (जीएसटी, आयकर कटौती सहित), निरीक्षण और पेमेंट की ऑनलाइन प्रक्रिया को पारदर्शी, मानकीकृत और कुशल बनाता है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / मशीन लर्निंग मॉडल का भी उपयोग होता है।

ई-मार्ग द्वारा जनरेटेड क्यूआर कोड्स को सड़क के किनारे लगे रखरखाव सूचना बोर्ड पर लगाया जाएगा, जिस पर हिंदी भाषा में निर्देश लिखे होंगे।कोई भी नागरिक अपने मोबाइल फ़ोन से क्यूआर कोड स्कैन कर सड़क और इसके रख-रखाव से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है। वह सड़क की समस्या (जैसे गड्ढे, टूटी हुई साइडवॉल) की फोटो खींचकर फीडबैक विंडो में अपलोड कर सकता है।

नागरिकों द्वारा भेजी गई तस्वीरें और फीडबैक संबंधित नियमित निरीक्षण के साथ एकीकृत होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग द्वारा इन तस्वीरों का विश्लेषण किया जाता है। यह विश्लेषण प्रदर्शन मूल्यांकन में मदद करता है।इंजीनियरिंग स्टाफ प्रदर्शन मूल्यांकन के लिये अंक देते समय इन तस्वीरों की समीक्षा करते हैं। जिससे रख-रखाव की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनती है। सार्वजनिक फीडबैक से पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है। साथ ही वास्तविक तस्वीरों के आधार पर समस्याओं का तेजी से समाधान किया जाता है। इस क्यूआर कोड के माध्यम से आम नागरिक सीधे सड़क रखरखाव में भागीदार बनते हैं।

डेटा-संचालित निर्णय के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा विश्लेषण करने से सड़कों का मूल्यांकन अधिक सटीक होता है। कुल मिलाकर यह प्रणाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से निर्मित सड़कों के पांच साल तक नियमित रख-रखाव को सुनिश्चित करने के लिए आम जनता को निगरानी प्रक्रिया का हिस्सा बनाती है।

विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि विगत 17 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी के द्वारा यह सूचित किया गया है कि यह सुविधा अब पूरी तरह कार्यात्मक हो चुकी है।

वर्तनमान में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सडकों के लिए क्यूआर कोड द्वारा निरीक्षण व्यवस्था बिहार के पांच जिलों सीवान, सुपौल, जमुई, गया तथा मुंगेर में जारी है। राज्य के शेष जिलों के लिए यह प्रक्रियाधीन है, जिसे विभाग द्वारा जल्द लागू किया जायेगा।

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