भोपाल , अक्टूबर 22 -- मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर राज्य की वित्तीय स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को योजनाओं के लिए निर्धारित Rs.44,355.95 करोड़ में से केवल Rs.8,027.12 करोड़ की राशि जारी की है, जो कुल प्रावधान का मात्र 18.07 प्रतिशत है। यह स्थिति प्रदेश की वित्तीय सेहत और विकास योजनाओं दोनों के लिए अत्यंत चिंताजनक है।
श्री पटवारी ने पत्र में कहा कि केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर राजकोषीय विफलता की वजह से प्रदेश की जनता को भारी मूल्य चुकाना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की तथाकथित 'डबल इंजन सरकार' के रहते हुए भी प्रदेश को योजनाओं का फंड नहीं मिल पाना इस बात का प्रमाण है कि दोनों इंजनों में तालमेल नहीं, बल्कि टकराव है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा संगठन और मंत्रिमंडल में गहरी अंतर्कलह अब जनहित से जुड़ी योजनाओं में भी साफ दिखाई देने लगी है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में दखल का दावा करने वाले ये नेता अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं।
श्री पटवारी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, पीएम ई-बस योजना, उपस्वास्थ्य केंद्र, नए मेडिकल कॉलेज, केन-बेतवा परियोजना और नगरीय विकास से जुड़ी कई योजनाओं में फंड न मिलने से प्रदेश के विकास कार्य ठप हो गए हैं। इसका सीधा असर ग्रामीण और शहरी गरीबों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में फैले भ्रष्टाचार के कारण केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को एक भी पैसा नहीं दिया है। यह स्थिति राज्य सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। उन्होंने कहा कि जब योजनाओं के फंड पर भ्रष्टाचार की छाया पड़ जाती है, तो इसका अर्थ है कि सरकार जनता के हितों के बजाय निजी स्वार्थों को प्राथमिकता दे रही है।
श्री पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से आग्रह किया है कि वे केंद्र के समक्ष तत्परता से फंड रिलीज करवाने के लिए ठोस पहल करें, भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें और वित्तीय अभाव में रुकी हुई योजनाओं के कार्यों को प्राथमिकता देकर आगे बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक जिम्मेदारी का प्रश्न बन गई है। जनहित की योजनाओं में फंड की कमी और विकास की धीमी रफ्तार, दोनों ही सरकार की अक्षमता का प्रमाण हैं। श्री पटवारी ने इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजी है।
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