इंदौर , अक्टूबर 7 -- मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा की घटना के बाद इंदौर जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है। कलेक्टर शिवम वर्मा ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई डॉक्टर प्रतिबंधित ड्रग्स वाले कफ सिरप लिखता पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सीधे जेल भेजा जाएगा।
कलेक्टर ने सीएमएचओ और फूड एंड ड्रग विभाग को आदेश दिए हैं कि दवा बाजार, मेडिकल स्टोर और शिशु रोग विशेषज्ञ अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रखी जाए। प्रशासन की टीमें आज से पूरे शहर में जांच अभियान शुरू कर रही हैं। इस दौरान प्रतिबंधित सिरप ही नहीं, बल्कि उनसे मिलती-जुलती दवाओं की भी जांच की जाएगी।
कलेक्टर वर्मा ने बताया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। यदि कोई डॉक्टर इसे लिखता है या केमिस्ट बेचते हुए पाया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिले में सभी ड्रग कंट्रोलर को फील्ड में रहकर निरीक्षण करने और संदिग्ध दवाओं को तुरंत जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता ने बताया कि सोमवार को सात डिपो का निरीक्षण किया गया, जहां प्रतिबंधित सिरप नहीं मिला। सीएमएचओ डॉ. माधव हासानी ने कहा कि सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टर दवाएं लिखते समय नियमों का पालन करें और किसी भी मरीज को किसी विशेष दुकान से दवा लेने के लिए बाध्य न करें।
इस बीच जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया (जेएसएआई) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर देशभर में कफ सिरप के निर्माण, बिक्री और विपणन पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है। संगठन ने राजस्थान और मध्यप्रदेश में दूषित सिरप से हुई बच्चों की मौतों पर चिंता जताते हुए दोषी कंपनियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और दवा नियामक व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की मांग की है।
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