नयी दिल्ली , अक्टूबर 17 -- दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पीआईएल) से जुड़े कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगभग 227 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति की अस्थायी कुर्की को बहाल कर दिया।

दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने ईडी की अपील को स्वीकार करते हुए पाया कि कुर्की को रद्द करने वाले एकल न्यायाधीश के पिछले आदेश का बचाव कानूनी रूप से नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि चोटिया कोल ब्लॉक के लिए आवंटन पत्र धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत "संपत्ति" है जिसे कथित तौर पर पीआईएल द्वारा धोखाधड़ी और गलत बयानी के माध्यम से प्राप्त किया गया था।

उच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस आवंटन के उपयोग से अर्जित अवैध वित्तीय लाभ -विशेष रूप से, 951 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कोयले की निकासी और बिक्री, "अपराध की आय" है। अदालत ने कहा कि पीआईएल द्वारा इन आय को लगातार अपने पास रखना और उसका उपयोग करना प्रथम दृष्टया धन शोधन का मामला बनता है।

यह फैसला धन शोधन के अपराध को एक सतत अपराध बताता है और यह प्रारंभिक आपराधिक गतिविधि की किसी समय-सीमा तक सीमित नहीं है। अदालत ने पाया कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अवैध लाभ के मूल्य के बराबर संपत्ति कुर्क करना उचित था, भले ही वह लाभ धोखाधड़ी वाले आवंटन के वर्षों बाद प्राप्त हुआ हो।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित