गुरुवायूर , दिसंबर 01 -- आम तौर पर किसी हाथी की मौत के बाद उसे याद करने की परंपरा नहीं होती लेकिन केरल के गुरुवायूर में एक हाथी को एक मौके पर बहुत ही भावपूर्ण ढंग से याद किया जाता है।
कई वर्षों तक गुरुवायूर मंदिर में गुरुवायूर केसवन नामक हाथी मंदिर में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अनुष्ठानों में भगवान श्रीकृष्ण की थलायात्रा (प्रतिमा को सिर पर धारण करना) करता रहा था।
एकादशी के दिन 2 दिसंबर 1976 को केसवन का देहांत हो गया था। तब से हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उसकी स्मृति में एक स्मृति समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त और हाथी प्रेमी श्रीवल्सम गेस्ट हाउस परिसर में स्थापित उसकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
सोमवार सुबह पास के एक मंदिर से देवस्वम के पांच हाथियों की अगुवाई में स्मृति जुलूस शुरू हुआ और प्रतिमा स्थल पर पहुंचा। प्रतिमा के सामने खड़े होकर गुरुवायूर इंद्रसेनन (वर्तमान प्रमुख हाथी) ने सिर झुकाकर प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की। देवस्वम अध्यक्ष वी.के. विजयन ने प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाकर केरल के सबसे प्रतिष्ठित हाथियों में से एक को भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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