रायपुर , नबम्बर 14 -- ) छत्तीसगढ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में महानदी भवन में पेसा अधिनियम 1996, वन संसाधन अधिकार अधिनियम 2006 एवं सामुदायिक वन प्रबंधन में समन्वयन द्वारा पेसा अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाकर लागू करने के लिए शनिवार को बैठक का आयोजन किया।

इस बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रतिनिधि एवं सामाजिक संस्थाओं के विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे। जहां वर्ष 2022 में पेसा अधिनियम के तहत बनाये गए नियमों की समीक्षा की गई। जिसमें अधिनियम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी नियमों पर एक एक कर चर्चा की गई एवं इसको लागू करने के लिए तरीकों पर भी बात की गई।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री शर्मा ने ग्राम सीमा के निर्धारण एवं ग्राम पंचायतों में निहित छोटे ग्रामों को वित्तीय अधिकार से सम्पन्न करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने पेसा ग्रामों के तहत निर्धारित मापदण्डों में ग्रामों की पारम्परिक सीमा को शामिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह ग्राम पंचायतों का अधिकार है कि वे आपसी सामंजस्य से अपने रूढ़िगत सीमाओं का सीमांकन करें।

श्री शर्मा ने पेसा ग्रामों में नियमों के संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने को कहा। इसके साथ ही नियद नेल्ला नार ग्रामों एवं पेसा विकासखंडों में पांच-पांच ग्रामों का चयन कर विशेष जागरूकता अभियान चला कर ग्रामीणों को उनके विशेषाधिकारों से अवगत कराने एवं किसी भी प्रकार के अफवाह से बचाने के निर्देश दिए। उन्होंने समाजशास्त्र से जुड़े विश्वविद्यालयों के छात्रों की सहायता से पेसा ग्रामों का सर्वे कराकर गांव की पद्धतियों, रूढ़ियों, परम्पराओं का डॉक्यूमेंटेशन कराने के निर्देश दिए।

उन्होंने राजस्व ग्राम पंचायतों के भीतर ग्राम सभा की समिति के अनुमोदन से ग्रामों के निर्माण करने के निर्देश दिए। जिसके तहत उन्होंने अधिनियम के अंतर्गत बने ग्रामों को और अधिक अधिकार सम्पन्न बनाने हेतु उन्हें वित्तीय अधिकार प्रदान करने एवं आहरण के अधिकार स्थानीय समिति को प्रदान करने को कहा।

उपमुख्यमंत्री ने पेसा ग्रामों में पंचायत निधि एवं ग्राम सभा कोष के प्रयोग के लिए नियम निर्माण करने को कहा जिससे पेसा ग्राम के अध्यक्ष एवं जनप्रतिनिधि पंचायत निधि एवं ग्राम सभा कोष का समुचित प्रयोग कर सकेंगे। पेसा ग्राम का अलग कार्यालय, खाता, कोष एवं लेटर हेड प्रदान किया जाएगा। पंचायत के संसाधनों के उपभोग, लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण, विपणन एवं उनके समुचित प्रबंधन को लेकर अधिकार भी ग्राम को प्रदान किये जायेंगे। हर पेसा ग्राम में वार्षिक रूप से विक्रय किये गए भूखंडों का विश्लेषण भी किया जाएगा, जिससे ग्राम के कार्यों में पारदर्शिता आएगी।

उन्होंने वनाधिकार अधिनियम एवं पेसा अधिनियम में बनाये गए नियमों में विसंगतियों के कारण आ रही समस्याओं के समाधान के लिए नियमों में बदलाव करते हुए पेसा ग्रामों को अधिक सशक्त बनाने को कहा। उन्होंने पंचायतों के निर्णय का डिजिटल रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्मित 'निर्णय ऐप' एवं 'सभागार ऐप' का प्रयोग आवश्यक करने के निर्देश दिए। पेसा के तहत विभिन्न विभागों के एक ही विषय पर बने अलग अलग नियमों के अभिशरण कर लोगों में शंका की स्थिति को समाप्त करने को कहा। इसके लिए राज्य स्तरीय कार्ययोजना समिति कार्य करेगी और विभागीय मंत्री एवं सचिव इसके सदस्य होंगे। पेसा के तहत अब तक शिथिल पड़ी जिला स्तरीय पेसा निगरानी समिति को भी कार्यशील किया जाएगा जो पेसा लागू करवाने का कार्य करेगी।

इस अवसर पर आसना में अपने तरह के अनोखे वनांचल विज्ञान केंद्र को प्रभावी बनाने पर भी चर्चा हुई। जहां उपमुख्यमंत्री शर्मा ने इसे परिवर्तनकारी बताते हुए कहा की पेसा ग्रामों में उत्पादित वनोपजों के प्रसंस्करण, संग्रहण, विपणन के आधुनिक तरीकों के संबंध में युवाओं को जागरूक करते हुए ग्राम के प्राकृतिक संसाधनों से युवाओं को रोजगार दिलाना हमारा लक्ष्य है।

पेसा ग्रामों के विकास के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही प्रायोगिक परियोजना की जानकारी अदिकरियों ने दी। जिसमें बताया कि राज्य के 16 अनुसूचित जिलों के 100 पेसा ग्रामों का चयन कर उनमें युवाओं को ग्राम विकास में सहभागी बनाने के लिए चयन किया गया है। जहां गांव के पढ़े लिखे ये युवा ग्रामीणों को पीएम आवास योजना, पीएम किसान योजना, आयुष्मान योजना आदि शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करने के साथ उनका आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि के निर्माण में सहायता करेंगे। इन सभी को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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