नयी दिल्ली , अक्टूबर 17 -- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में पिछले एक वर्ष में विकास की दृष्टि से नये आयाम स्थापित किये गये हैं और इस क्षेत्र के राज्य अभूतपूर्व तेजी से वृद्धि कर रहे हैं।

श्री सिंधिया ने मंत्रालय की एक वर्ष की उपलब्धियों पर यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों ने शासन-प्रणाली में सुधार, निवेश एवं क्षेत्रीय एकीकरण की दृष्टि से भी ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज की गयी हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत का 'ग्रोथ इंजन' बन गया है पिछले एक दशक में क्षेत्र के राज्यों के राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) की वृद्धि दर नौ से 11 प्रतिशत दर्ज की गयी है, जो कि अतुलनीय और अभूतपूर्व है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मंत्रालय ने पिछले वर्ष अष्टलक्ष्मी महोत्सव, नॉर्थ ईस्ट बैंकर्स कॉन्क्लेव और राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट जैसे आयोजन कर पूर्वोत्तर को वैश्विक निवेश और सांस्कृतिक पहचान के केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। मई 2025 में आयोजित राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट में 4.48 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौते हुए, जो क्षेत्र के लिए अब तक का सर्वाधिक निवेश है। इसके अलावा दिसंबर, 2025 में आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दौरान 2,326 करोड़ रुपये के व्यावसायिक समझौते हुए और 320 से अधिक शिल्पकारों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किये।

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2024 में हुए बैंकर्स कॉन्क्लेव में बैंकों ने 51 नयी शाखायें खोलने और डिजिटल बैंकिंग को सुदृढ़ करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने दो विशेष युवा विनिमय कार्यक्रम प्रारंभ किये हैं। एनई स्पार्क्स कार्यक्रम के तहत अब तक पूर्वोत्तर के कुल 800 विद्यार्थियों को इसरो जैसे संस्थानों का भ्रमण और अनुसंधान के लिए भेजा गया है। इसके अलावा अब एक अष्टलक्ष्मी दर्शन कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है, जिसके तहत देशभर के विद्यार्थी पूर्वोत्तर के विद्यालयों में 14 दिवसीय अध्ययन भ्रमण के लिए आयेंगे।

श्री सिंधिया ने बताया कि पहली बार मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में आठ सेक्टोरल हाई-लेवल टास्क फोर्स गठित की गयी हैं, जो पर्यटन, कृषि, निवेश, खेल और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में अंतरराज्यीय सहयोग और नीति समन्वय सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने इंटर-मिनिस्टीरियल फैसिलिटेशन सिस्टम विकसित किया है, जिसके माध्यम से शिलॉन्ग एयरपोर्ट, कैलाशहर एयरपोर्ट और सिक्किम हाइवे जैसे परियोजनाओं में लंबित कार्यों को तेज़ी से सुलझाया गया है।

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है 620 परियोजनाओं में से 599 का थर्ड पार्टी निरीक्षण पूरा हुआ है और 245 पूरी हो चुकी परियोजनाओं में से 223 परियोजनायें संचालित हो चुकी हैं, जो 91 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में पूर्वोत्तर में अवसंरचना की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि जहां एक दशक पहले पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में मात्र नौ हवाई अड्डे थे और सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश में एक भी हवाई अड्डा नहीं था, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 17 हो गयी है, जिनमें से केवल अरुणाचल प्रदेश में ही चार हवाई अड्डे हैं।

उन्होंने बताया कि रेल संपर्क के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हो रही है, वर्ष 2029 तक पूर्वोत्तर के सभी राज्य रेल नेटवर्क से जुड़ जायेंगे। साथ ही, कालादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के माध्यम से क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया और विश्व से जोड़ने की दिशा में भी तीव्र गति से कार्य हो रहा है। पूर्वोत्तर अब भारत की अंतिम सीमा नहीं, बल्कि 'भारत का प्रवेशद्वार' बनकर उभर रहा है।

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मंत्रालय ने उस क्षेत्र में 3,447 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक व्यय दर्ज किया, जो पिछले तीन वर्षों में 209 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। अब 2025-26 में इसे बढ़ाकर 5500 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है। नियमित साप्ताहिक समीक्षा और बेहतर निगरानी तंत्र ने मंत्रालय की कार्यक्षमता को नयी गति दी है।

श्री सिंधिया ने कहा पूर्वोत्तर क्षेत्र केवल भौगोलिक नहीं, भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है। हमारी प्रतिबद्धता है कि विकास के हर चरण में पूर्वोत्तर अग्रणी भूमिका में रहे चाहे वह निवेश हो, सांस्कृतिक संवर्धन हो या सुशासन का सशक्त उदाहरण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप माना है और यह अष्टलक्ष्मी अब भारत का ग्रोथ इंजन बनने की तेजी से अग्रसर हो रही है।

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