नयी दिल्ली , दिसंबर 02 -- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चार दिसंबर से शुरू हो रहे भारत दौरे पर दोनों पक्षों के बीच एस-400 मिसाइल और सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की खरीद सहित कई मुद्दों पर चर्चा होगी।

श्री पुतिन दो दिन की भारत यात्रा पर गुरुवार को नयी दिल्ली आ रहे हैं। उनकी यात्रा से पहले राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, आपसी निवेश सहित कई मुद्दों पर बात होगी। उन्होंने संवाददाताओं के प्रश्नों के जवाब देते हुए कहा कि एस-400 मिसाइल प्रणाली और सुखोई-57 पर भी बात होनी तय है। उन्होंने कहा " एस-400 निश्चित रूप से एजेंडा का हिस्सा है। यह निश्चित रूप से हमारे एजेंडा में है। और मुझे कोई संदेह नहीं है कि इस पर चर्चा होगी। उनके साथ एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल आ रहा है जिसमें कई ऐसे सदस्य हैं जो इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। ...उच्चतम स्तर पर इसकी चर्चा होगी।"सुखोई-57 और अमेरिका द्वारा एफ-35 भारत को बेचने के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर श्री पेस्कोव ने कहा, "सुखोई-57 दुनिया के सर्वश्रेष्ठ (सैन्य) विमान हैं। यह आगामी यात्रा के दौरान निश्चित रूप से एजेंडा का हिस्सा होगा। हम विवरण के बारे में बात नहीं करेंगे। दुनिया में कुछ प्रतिस्पर्धी भी हैं और कुछ प्रतिस्पर्धी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कभी-कभी अनुचित प्रतिस्पर्धा के लिए वे गलत रास्ता भी अपना सकते हैं। लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में शायद ही कोई सुखोई-57 का मुकाबला कर सके।"उन्होंने कहा कि रूस का सैन्य उद्योग काफी अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "पिछले चार साल में हमने अपना उत्पादन इस तरह से प्रबंधित किया है कि हम न सिर्फ अपनी सेना को यूक्रेन में उनके सैन्य अभियान के लिए हथियार देने में कामयाब रहे हैं, बल्कि हम निर्यात भी जारी रखने की स्थिति में हैं, और यह भारत के मामले में भी सच है।"उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के मौजूदा हथियारों और उपकरणों में 36 प्रतिशत रूसी हैं जो काफी बड़ा आंकड़ा है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि न सिर्फ यह स्थिति जारी रहेगी बल्कि ये आंकड़े और बढ़ेंगे। छोटे परमाणु रिएक्टरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पर भी चर्चा हो सकती है और रूस भारत को ये रिएक्टर देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि दुनिया के देश रूस से ये रिएक्टर खरीदना चाहते हैं।

रूसी अधिकारी ने कहा कि इनके अलावा मानवीय और वैज्ञानिक सहयोग, सांस्कृतिक सहयोग, उच्च तकनीक, फार्माशूटिकल, उत्तर-दक्षिण संपर्क मार्ग जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर किये जायेंगे। भारत को "एक महत्वपूर्ण साझेदार" बताते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि राष्ट्रपति पुतिन का यह दौरा उतना ही सफल रहेगा जितना एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी का माॅस्को का दौरा रहा था।

रक्षा क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रूस की विशेषज्ञता बढ़ी है और वह इसे भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है। उन्होंने ब्रह्मोस परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध सिर्फ खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं हैं, इसमें प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान भी शामिल है।

श्री पेस्कोव ने मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में "मैत्रीपूर्ण" रुख के लिए भारत का धन्यवाद किया। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध पर भारत के रुख और युद्ध रोकने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत रूस का पक्ष सुनने के लिए हमेशा तैयार रहा है, जबकि यूरोपी देश बात ही नहीं करते। उन्होंने भारत के साथ चीन को भी रूस का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताया और कहा कि वह भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों का सम्मान करते हैं तथा रूस दोनों देशों से साथ संबंध मजबूत करेगा।

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