बारां , दिसम्बर 06 -- राजस्थान में बारां जिले के रामगढ़ की पहाडिय़ों एवं घास के मैदानों में पिछले 12 दिनों से चीता शावक की चहलकदमी निरंतर बनी हुई है और अब इसने अपने क्षेत्र का विस्तार कर लिया है।
वन विभाग के जिला वन उप संरक्षक (डीएफओ) वी. माणिकराव ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार को चीते को बारां जिले के किशनगंज - मांगरोल रोड पर पार्वती नदी की पुलिया के पास झाडियों में देखा गया। शनिवार को भी यह आसपास ही स्वच्छंद विचरते पाया गया। उन्होंने बताया कि कूनो से आया एक दल यहां बारां जिला दल के साथ दिन-रात उस पर नजर बनाये हुए है। आगे क्या करना है, यह मध्य प्रदेश के कूनो को दल को तय करना है।
श्री माणिवराव ने बताया निगरानी से पता चला है कि अब तक चीता केपी- 2 करीब तीन शिकार कर चुका है। लोगों से अनुरोध है कि वे चीते के नजदीक तक न फटके ताकि उनकी एवं चीते की सुरक्षा बनी रहे।
सूत्रों के अनुसार कूनो की मादा चीता आशा का शावक केपी 2 जिसकी उम्र करीब दो वर्ष की बतायी गयी है, पिछले 11-12 दिनों से इस क्षेत्र में मानो अपना क्षेत्र बनाकर रह रहा है। इस दौरान उसने तीन बार शिकार भी किये हैं। इसका पहला शिकार नीलगाय बनी, इसके बाद इसने एक बछड़े को अपनी खुराक बनाया। फिर एक बकरी को। इससे पता लगता है कि यहां पर उसके भोजन और रहवास की सारी सुविधायें उपलब्ध हैं।
यह चीता शावक 25 नवम्बर की रात से इसी क्षेत्र में है। इस पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन विभाग के अधिकारी लगातार नजर बनाये हुए हैं। कूनो अभयारण्य के रेंजर नीरज सिंह परिहार ने बताया कि मेहमान को रामगढ़ का घास का मैदान भा गया है। क्षेत्र के लोगों एवं जिन लोगों के खेत इसके आसपास हैं, उनमें भय व्याप्त है।
वन अधिकारियों के अनुसार चीते को ट्रैंकुलाइज करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। यह कूनो दल को ही तय करना है। कूनो से आया शावक अभी वापस मध्यप्रदेश में अपने मूल ठिकाने की ओर रुख नहीं कर पाया है। विभाग के सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को मिली जानकारी के अनुसार यह अतिथि रामगढ़ क्षेत्र में ही विचरण कर रहा है। उसे रामगढ़ से मांगरोल मार्ग के बीच पार्वती नदी के तट पर एक सरसों के खेत में शिकार के लिए घात लगाते देखा गया। रामगढ़ निवासी कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुक्रवार शाम तक शावक को अर्जुनपुरा, पीपल्दाकला गांव के बीच देखा गया था।
उधर, क्षेत्र में चीता की दहशत इतनी हो गयी है कि हर गली, नुक्कड़, चौराहे पर इसकी ही चर्चा चल रही है। जैसे ही दिन छुपता है, लोग बाहर नहीं निकलना बंद कर देते हैं। पीपल्दाकलां निवासी राजेन्द्र ने बताया कि इसकी वजह से लोग अपने खेत को भी नहीं संभाल पा रहे हैं। चीते ने हालांकि अब तक किसी इंसान पर हमला नहीं किया है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित