रांची , नवम्बर 25 -- झारखंड में पहली बार हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे का कार्य डिजिटल मोड पर किया जाना है।

इसके लिए डहर एप और पोर्टल बनाया गया है। हैबिटेशन मैपिंग हर विद्यालय के लिए नवंबर के अंत तक करना अनिवार्य है। आज हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे की समीक्षा बैठक हुई। बैठक के दौरान सभी जिलों के सम्बंधित पदाधिकारियों को जल्द से जल्द हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने कहा कि हैबिटेशन मैपिंग में पदाधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जल्द से जल्द हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा करे। एक सप्ताह तक इसकी निरंतर निगरानी करे। हैबिटेशन मैपिंग का कार्य एक सप्ताह में हो जाना चाहिए।

श्री रंजन ने कहा कि हैबिटेशन मैपिंग का कार्य जल्द पूरा करते हुए दिसंबर से शिशु पंजी सर्वे का कार्य शुरू करे। उन्होंने कहा कि हर सप्ताह हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे की मॉनिटरिंग की जाएगी। हैबिटेशन मैपिंग में संतोषजनक एवं समयबद्ध कार्य नहीं होने पर सम्बंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और एचएम पर कार्रवाई होगी।

बैठक को संबोधित करते हुए प्रभाग प्रभारी बिनीता तिर्की ने कहा कि एक पोषक क्षेत्र में दो स्कूल टैग ना करे। किसी भी घर का सर्वे दोबारा नहीं होगा। शिशु पंजी सर्वे करना हर शिक्षक का दाइत्व है, जो शिक्षक इसमें शामिल नहीं होंगे उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा। उन्होंने हैबिटेशन मैपिंग के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गए डहर 1.4 वर्जन को डाउनलोड करने का निर्देश दिया।

श्रीमती तिर्की ने कहा कि सभी स्कूलों में प्रधानाचार्य भी घर-घर सर्वे का काम करेंगे, एचएम को भी टोलो से टैग होना होगा ताकि हर घर का सर्वे पूरा हो सके। एक शिक्षक वाले स्कूलों में एचएम के साथ साथ गैर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों का सहयोग भी लिया जाएगा। सर्वे में वार्ड के नाम के साथ वार्ड संख्या भी दर्ज करना होगा। डहर पोर्टल और एप में कार्य करने के लिए शिक्षक का ई विद्यावाहिनी में होना अनिवार्य है। राज्य में अबतक 3,614 विद्यालयों ने हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा कर लिया है। रांची में सर्वाधिक विद्यालयों ने हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा किया है। रांची में 52% विद्यालयों ने हैबिटेशन मैपिंग का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।

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