अमृतसर , दिसंबर 08 -- श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 पवित्र स्वरूपों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा प्रकाशित हिंदी किताब प्रतिबंध के मामले में पंजाब सरकार द्वारा रविवार को की गई कानूनी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित और सिख संस्थाओं में सीधा दखल बताया है।
श्री अकाल तख्त साहिब के सेक्रेटेरिएट में सोमवार को हुई पांच सिंह साहिबान की मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए जत्थेदार गड़गज्ज ने कहा कि श्री ईशर सिंह की अगुवाई में और श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा बनाए गए तीन मेंबर जांच कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक, एसजीपीसी ने 328 पवित्र स्वरूपों के पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ पहले ही सही कार्रवाई कर दी है। इस कार्रवाई को श्री अकाल तख्त साहिब के उस समय के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और पांच सिंह साहिबान ने मंज़ूरी दी थी। उस समय, एग्जीक्यूटिव कमेटियां भी श्री अकाल तख्त साहिब के सामने पेश हुई थीं और माफी मांगी थी। एसजीपीसी ने अपने जनरल हाउस में एक प्रस्ताव पास करके खालसा पंथ से माफी मांगी थी।
जत्थेदार गड़गज्ज ने कहा कि यह मामला बेअदबी का नहीं, बल्कि वित्तीय कुप्रबंध से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवान और मंत्री हरजोत सिंह बैंस - जो पहले श्री अकाल तख्त साहिब में तनखाह (धार्मिक प्रायश्चित) कर चुके हैं - का इसमें शामिल होना साफ दिखाता है कि यह कार्रवाई राजनीतिक मकसद से की गई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में मौजूदा आम आदमी पार्टी सरकार को सिख परंपराओं और रीति-रिवाजों की बहुत कम समझ है, जिसकी वजह से वह अब श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा पहले से मंज़ूर कार्रवाई से टकरा रही है और उसकी अथॉरिटी को चुनौती दे रही है। उन्होंने इसे एसजीपीसी को कमज़ोर करने की साज़िश बताया, जिसे सिख समुदाय कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी की तरफ़ से पब्लिश की गई प्रतिबंधित हिंदी किताब "सिख इतिहास" का मामला भी कई साल पहले सुलझा लिया गया था, और इस स्टेज पर सरकार का दखल साफ़ दिखाता है कि उसे पूरी स्थिति की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई कुछ लोगों के फैलाए गए गुमराह करने वाले प्रोपेगैंडा के आधार पर लिया जा रहा है।
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