पटना , अक्टूबर 01 -- बिहार कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा संगीत नाटक अकादमी, पटना के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को पद्म विभूषण लोकगायिका शारदा सिन्हा की जयंती के अवसर पर 'सांस्कृतिक संध्या' का आयोजन हुआ।
राजधानी पटना के प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित 'सांस्कृतिक संध्या' का आगाज़ शारदा सिन्हा के चित्र पर श्रीमती रूबी, निदेशक, सांस्कृतिक कार्य निदेशालय और अन्य पदाधिकारियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
लोकगायिका सुश्री रानी सिंह ने अपनी मधुर आवाज़ में एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किए, जिनमें 'कौन संकट हो दीनानाथ', 'केलवा के पात पर', 'गांव के अधिकारी तोहरे बड़का भैया हो', 'आज सिया जी के उपटन लगाओ रे', 'हमर जिया डोले रे छोटी नंदी' शामिल रहे। उनकी प्रस्तुति पर श्रोता झूम उठे।
इस अवसर पर शारदा सिन्हा की पुत्री श्रीमती वंदना सिन्हा ने 'जय जय भैरवी, जगदंबा घर में दियारा' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने 'का लेके शिव के मनाहीब हो', 'निमिया के डाढ़ मईया', 'पटना से वैद्य बुलाई दा', 'आमवा महुआ के झूमे डालियां', 'कोयल बिन बगिया ना शोभे राजा', 'सोना साठ कोनिया हो दीनानाथ' तथा 'केरवा के पतवा पर' जैसे लोकगीत गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।उनकी प्रस्तुतियों में माँ शारदा सिन्हा की स्मृति और विरासत की झलक साफ दिखाई दी।
कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। पूरी संध्या शारदा सिन्हा की स्मृति और उनकी लोकसंगीत परंपरा को समर्पित रही।इस अवसर पर शारदा सिन्हा के परिवारजन, रिश्तेदार और करीबी मित्र भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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