अहमदाबाद , नवंबर 10 -- गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात की लोक कला और लोक संस्कृति के प्रहरी पद्मश्री दिवंगत जोरावरसिंह जादव को सोमवार को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

राज्य की जीवंत लोक कलाओं, लोक जीवन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को 110 से अधिक पुस्तकों के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल विरासत के रूप में छोड़ जाने वाले सुप्रसिद्ध लेखक, शोधकर्ता और पद्मश्री पुरस्कार विजेता दिवंगत जोरावरसिंह जादव की प्रार्थना सभा आज अहमदाबाद स्थित गुजरात यूनिवर्सिटी में आयोजित हुई। इस अवसर पर श्री पटेल ने प्रार्थना सभा में उपस्थित रहकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

दिवंगत जोरावरसिंह जादव लेखक और शोधकर्ता के अलावा गुजरात की धरती को जीवंत रखने वाली लोक कलाओं और लोक कलाकारों के जीवंत संरक्षक थे। अक्रूंद गांव से शुरू हुई लोक कला संवर्धन की उनकी अनूठी यात्रा गुजरात के सांस्कृतिक इतिहास का एक विशिष्ट अध्याय है। दिवंगत जोरावरसिंह जादव को वर्ष 2019 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। इसके अलावा उन्होंने गुजराती लोक संग्रहालय 'विरासत' का सृजन किया, जिसका उद्घाटन भी मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने ही किया था। प्रार्थना सभा में बड़ी संख्या में लोक कलाकार, साहित्यकार, नागरिक और उनके प्रशंसकों ने उपस्थित रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध लेखक, कलाकार और कई संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़े पद्मश्री जोरावरसिंह जादव का शुक्रवार, सात नवंबर 2025 को सुबह अहमदाबाद के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित उनके आवास पर निधन हो गया था। वे 85 वर्ष के थे। वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका जन्म 10 जनवरी, 1940 को धंधुका तालुका के अक्रूंद गाँव में हुआ था।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित