पटना, नवंबर 02 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को पटना की सड़कों पर भीड़ से बिना कुछ बोले सिर्फ निहारते हुए यहां की संस्कृति, जनता और राजनीति को सलाम किया और यह भी बता दिया कि बिहार के विकास की कुंजी कहां है।
प्रधानमंत्री मोदी का काफिला आज पटना के दिनकर गोलंबर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को श्रद्धांजलि देने साथ शुरू हुआ । ऐसा करते हुए श्री मोदी ने भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े स्तंभ को सलाम किया। राष्ट्रकवि ने अपनी कविताओं से राष्ट्रीयता की जो लकीर खिंची वो आज भी जस की तस कायम है । उन्हें सलाम कर प्रधानमंत्री ने बिहार की जनता को राष्ट्रीयता से लवरेज कर दिया। उन्हें संदेश दिया कि उसी के साथ रहिए जो राष्ट्र की मान मर्यादा की रक्षा कर सके।
श्री मोदी ने बिहार की संस्कृति से संवाद के बाद खुद को जनता के हवाले कर दिया। सडक पर खचाखच उमड़ी जनता लगातार प्रधानमंत्री का अभिवादन कर रही थी और श्री मोदी पुरी शिद्दत से उसे स्वीकार कर रहे थे । उनके चेहरे की ताजगी देख कर कोई भी नहीं कह सकता था कि दिन में आरा और नवादा की दो चुनावी रैलियों को संबोधित करने के बाद वह वापस लौटे हैं । सडक के किनारे बालकनी में खड़ी महिलाएं हाँथ में पूजा की थाली लिए प्रधानमंत्री को दूर से आरती दिखा रही थी। इस बात का संदेश दे रही थी कि बिहार में सशक्तिकरण के प्रयासों के बाद महिलाएं उनमें किसी आराध्य की सूरत देखने लगी हैं। कुछ महिलाएं मगध में भाई बहन के प्रेम की प्रतीक सामा चकवा की मूर्ति लिए खड़ी थी। जिसने भी उंस अदभुत नजारे को देखा उसे महसूस हुआ कि क्या कोई मानव खुद को दूसरे मानव से इतनी मजबूत गांठ से जोड़ सकता है। इतनी बड़ी भीड़ को इस कदर उतावला कर सकता है।
प्रधानमंत्री का काफिला दिनकर गोलंबर से निकल कर नाला रोड, ठाकुरबाड़ी रोड और बाकरगंज होते हुए गांधी मैदान को पहुंचता है जहाँ वो तीसरा सलाम करते हैं। उंस जगह को जहां से आपातकाल के समय लोकतंत्र की रक्षा की मुहिम शुरू हुई थी। उस मैदान को निहारते हैं जहां पांच दशक पहले लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति का उद्घोष किया था। प्रधानमंत्री गांधी मैदान को सलाम करते हुए जनता को याद दिला देते हैं कि वो कौन लोग थे जो लोकतंत्र की हत्या करना चाहते थे। बिना बोले मूक रूप से उन लोगों को जवाब देते हैं जो उनपर लोकतंत्र की हत्या के इरादे का आरोप लगाते हैं।
आखिर में प्रधानमंत्री का काफिला उद्योग भवन के पास आ कर रुक जाता है। बिहार में पिछले 60 वर्षों से उद्योग धंधों का नही लगना एक बड़ा मुद्दा है। आज ही नवादा में बोलते हुए श्री मोदी ने कहा था कि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के बाद जंगलराज के खात्मे तक किसी भी मुख्यमंत्री ने बिहार में उद्योग धंधों के बारे में नही सोचा। उन्होंने आज ही बिहार को कलकत्ता और अमृतसर के औद्योगिक कॉरिडोर से जोड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से बिहार पटरी पर लौटा है अब यहां लघु और बृहद औद्योगिकीकरण की आवश्यकता है। आज के रॉड शो में संध्या 5.45 में धुरू हुआ प्रधानमंत्री का काफिला अगले दो घन्टे बाद उद्योग भवन के पास जा कर रुका और बिना बोले उन्होंने संदेश दे दिया कि यही है बिहार के विकास की कुंजी। इस रोड शो में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह उनका प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह कर रहे थे। जनता से सड़क संवाद के बाद प्रधानमंत्री मोदी सीधे पटना साहिब गरुद्वारे गये, उन्होंने हरमंदिर साहेब के सामने मत्था टेका।
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