लुधियाना, सितंबर 26 -- दुनिया भर के हिन्दू मंदिरों और घरों में गायी जाने वाली 'ओम जय जगदीश हरे' आरती के रचयिता और हिंदी के पहले उपन्यासकार पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की 188वीं जयंती 28 सितंबर को मनायी जाएगी।
पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी पंजाब के अध्यक्ष कृष्ण कुमार बावा, संयोजक नवदीप सिंह नवी और उपाध्यक्ष सुनील मैनी ने शुक्रवार को बताया कि रविवार को पंडित फिल्लौरी जी की 188वीं जयंती मनाने की तैयारियाँ पूरी कर ली गयी हैं। उन्होंने बताया कि पंडित जी द्वारा रचित उपन्यास "भाग्यवती", जो पहले बेटी को विवाह के समय दहेज के रूप में दिया जाता था, छपवाया जाएगा और यह परंपरा फिर से शुरू की जाएगी कि विवाह में भाग्यवती उपन्यास दिया जाए।
जालंधर के फिल्लौर में 30 सितंबर 1837 को जन्मे श्रद्धाराम फिल्लौरी प्रसिद्ध विद्वान प्रचारक समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी और हिंदी के पहले उपन्यासकार थे। दुनिया भर में जहां कहीं भी हिन्दू मंदिर स्थापित किया गया है, वहां रोजाना सुबह-शाम 'ओम जय जगदीश हरे' की आरती गूंजती है। बहुत कम लोगों को यह पता है कि इस आरती के रचयिता श्रद्धाराम फिल्लौरी जालंधर में फिल्लौर के रहने वाले थे। समय की सरकारों और लोगों की भूलने की आदत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज तक उनकी कोई यादगार तक नहीं बनाई गयी।
पंडित फिल्लौरी की याद को पुर्नजीवित करने के लिए फिल्लौर के कुछ बुद्धजीवियों ने 2007 में दिवंगत अजय शर्मा की अगुआई में पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की थी। ट्रस्ट ने विश्व स्तर पर उस महान लेखक, बुद्धिजीवी, स्वतंत्रता सेनानी की रचनाएं पहुंचाने का प्रयास आरंभ किया है।
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