मोगा , नवंबर 27 -- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को पंजाब के मोगा जिले के रणसिंह कलां गांव में पराली नहीं जलाने, फसल अवशेषों के सफल प्रबंधन और पानी-बचत वाली खेती के लिए गांव की पंचायत तथा किसानों की सराहना की, और इसे पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बताया।
कृषि मंत्री ने कहा कि रणसिंह कलां जैसे गांवों ने यह दिखा दिया है कि वैज्ञानिक प्रबंधन के ज़रिए बिना आग लगाए भी खेतों की सफाई और अगली फसल की तैयारी संभव है। श्री चौहान ने उल्लेख किया कि पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को चिंतित किया था, क्योंकि इससे खेत तो साफ दिखता था लेकिन मित्र कीट नष्ट हो जाते थे और गंभीर वायु प्रदूषण पैदा होता था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने सरपंच प्रीत इंदरपाल सिंह और पूरे गांव को बधाई देते हुए कहा कि यह गांव देशभर के उन क्षेत्रों के लिए संदेश दे रहा है, जहां अभी भी पराली जलाई जाती है।
श्री चौहान ने रेखांकित किया कि अवशेषों को खाद और मल्चिंग केरूप में उपयोग कर किसान पानी, डीज़ल और उर्वरक बचाते हुए भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि पराली की मल्चिंग से खरपतवार दब रहे हैं, मिट्टी की नमी बनी हुई है और मित्र जीव सुरक्षित हैं, जिससे अब किसान पहले की तुलना में कम मात्रा में डीएपी और यूरिया का उपयोग कर रहे हैं, जबकि उत्पादन में कमी की आशंका नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि पंजाब के इस प्रयोग से स्पष्ट है कि पर्यावरण की रक्षा और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य साथ-साथ चल सकते हैं, बशर्ते खेत स्तर पर वैज्ञानिक पद्धतियां ईमानदारी से अपनाई जाएं और समुदाय सक्रिय भूमिका निभाए।
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