चंडीगढ़ , दिसंबर 02 -- पंजाब सरकार द्वारा राज्य परिवहन विभाग के संविदा कर्मचारियों की मांगें मान लिए जाने के बाद पंजाब रोड़वेज, पनबस और पीआरटीसी परिवहन के संविदा कर्मचारियों ने मंगलवार को पिछले पांच दिनों से चल रही हड़ताल को समाप्त करने की घोषणा की। अपराह्न लगभग तीन बजे से पूरे राज्य में बस सेवाएं बहाल हो गयीं।
यह फ़ैसला कर्मचारी यूनियनों और राज्य सरकार के बीच सफल बातचीत के बाद लिया गया है। ट्रांसपोर्ट कर्मचारी 27 नवंबर से हड़ताल पर थे, जिससे रोज़ाना आने-जाने वाले यात्रियों, खासकर महिलाओं को बहुत परेशानी हो रही थी, जो मुफ़्त यात्रा के लिए सरकारी बस सेवाओं पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं।
पंजाब रोड़वेज यूनियन के जिला जालंधर प्रधान सतपाल सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा उनकी मुख्य मांगों पर सहमति जताने के बाद यूनियन हड़ताल वापस ले रही है। यूनियन के प्रतिनिधियों के अनुसार, राज्य सरकार ने गिरफ़्तार बस कर्मचारियों को रिहा कर दिया है। उन्होंने बताया कि अभी तीन से चार कर्मचारी ही पुलिस हिरासत में हैं जिन्हें भी अगले एक दो दिनों में रिहा करने पर सहमति बन गई है। सरकार विरोध के दौरान कर्मचारियों के ख़िलाफ़ दर्ज केस वापस लेने पर भी सहमत हो गई है। हड़ताली कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को रेगुलर करने, किलोमीटर स्कीम को बंद करने और हिरासत में लिए गए स्टाफ़ सदस्यों को रिहा करने की मांग कर रहे थे। अब आधिकारिक तौर पर हड़ताल खत्म होने के साथ, सभी सरकारी बसें सामान्य रूप से चलेंगी, जिससे पूरे राज्य में यात्रियों को बहुत ज़रूरी राहत मिलेगी।
यूनियन के जिला प्रधान गुरप्रीत सिंह के मुताबिक सरकार ने गिरफ्तार किए गए बस कर्मियों को रिहा करने की मांग मान ली है । सरकार ने जिन कर्मचारियों पर केस दर्ज दर्ज थे । उन्हें रद्द करने की मांग करने की मान ली है। यूनियन के मुताबिक बुधवार को यूनियन की बैठक होगी जिसमें अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने तथा किलोमीटर स्कीम बंद करने को लेकर दोबारा चर्चा कर संघर्ष की अगली रणनीति बनेगी।
उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों ने किलोमीटर-आधारित बस योजना से जुड़ी निविदा खोलने के खिलाफ 27 नवंबर को हड़ताल शुरू की थी। पंजाब रोडवेज़, पनबस और पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के कई नेताओं को पुलिस ने गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गये थे। यूनियन ने पहले किलोमीटर-आधारित बस योजना के तहत टेंडर खोलने के विरोध और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की थी। उनका दावा था कि यह प्राइवेट बसों को लाने और सरकारी ट्रांसपोर्ट सिस्टम को खत्म करने की एक पिछले दरवाजे से कोशिश है, जिससे प्राइवेट ऑपरेटर सरकार द्वारा बताये गये रूट पर बसें चला सकें। उनके विरोध प्रदर्शन से पहले, कई यूनियन नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिसके बाद पंजाब में कई जगहों पर अफरा-तफरी मच गयी, क्योंकि विरोध कर रहे कर्मचारियों की पुलिस से झड़प हो गयी। संगरूर में, शुक्रवार को विरोध तब हिंसक हो गया, जब कुछ कर्मचारी, जो बसों पर चढ़ गये, उन्होंने उन पुलिस वालों पर पेट्रोल छिड़क दिया जो उन्हें नीचे उतारने की कोशिश कर रहे थे। धुरी स्टेशन हाउस ऑफिसर की वर्दी में आग लगने से वह जल गये। विरोध करने वालों ने कहा कि उनके कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्होंने पुलिस कार्रवाई की निंदा की।
पनबस जालंधर-2 के डिपो प्रबंधक ने 29 नवंबर को पीआरटीसी यूनियन जालंधर के दोनों अध्यक्षों सतपाल सिंह और बिक्रमजीत सिंह की सेवायें तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दीं थी। डिपो प्रबंधक ने दोनों कर्मचारियों को ई-मेल के माध्यम से उक्त आदेश भेज कर कहा कि उन्होंने मुख्य कार्यालय द्वारा शुक्रवार को पत्र जारी कर आउटसोर्स /संविदा कर्मचारियों की हड़ताल को गैर कानूनी घोषित किया था। पत्र में कहा गया है कि दोनों कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होकर आदेश का उल्लंघन किया है और इसके कारण डिपो को हजारों रुपये का नुकसान पहुंचा है।
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