जालंधर/ मोगा , नवंबर 27 -- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 83 प्रतिशत की कमी आई है।
श्री चौहान ने एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस राज्य में लगभग 83 हजार पराली जलाने की घटनाएं होती थी वह अब घटकर पांच हजार के करीब हो चुकी हैं। उन्होंने पंजाब के मोगा जिले के रणसिंह कलां गावं की मिसाल देते हुए कहा कि यहां पिछले छह सालों से पराली नहीं जलाई गई है, यहां किसान पराली को सीधे खेत में मिलाते हैं और फिर अगली फसल की बुवाई करते हैं।
श्री चौहान ने कहा कि उन्होंने कुछ दिन पहले रणसिंह कलां गांव के बारे में पढ़ा। यहां पराली को बोझ नहीं माना गया, बल्कि इसे वरदान में बदल दिया गया। रणसिंह कलां गावं में किसान हैप्पी सीडर से कटाई और खेतों में पराली मिला देने के बाद बिना पानी दिए सीधी बुवाई करते हैं। इससे पानी और डीजल दोनों की बचत होती है। उन्होंने कहा कि पराली में पोटाश होता है, जो खेतों में मिलकर उसे फायदा पहुंचाता है। जमीन में नमी बनी रहती है। खेतों में पराली मिलाने से जैविक कार्बन बढ़ता है। खाद की आवश्यकता कम पड़ती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने खेतों का निरीक्षण करके भी देखा। पराली खेत में ही मिलाने से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल उत्पादन संभावित रहता है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मात्र गेहूं ही नहीं बल्कि आलू की खेती में भी पराली प्रबंधन का यह प्रयोग अत्यधिक फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि उनको बताया गया है कि जहां आलू की बुवाई में खेतों में पोटाश डालने की आवश्यकता पड़ती थी, वहीं अब इसकी जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि पराली से जिंक और पोटाश की जरूरत पूरी हो जाती है। आलू का आकार भी बड़ा होता है, गुणवत्ता अच्छी हो जाती है और खर्चा भी कम होता है। सरसों के खेती में भी कम खाद और पानी के साथ उत्पादन में इजाफा कर मुनाफा कमाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने रणसिंह कलां गांव के सरपंच प्रीत इंदरपाल सिंह मिंटू की तारीफ की और कहा कि उन्होंने अच्छे कामों से गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।
कृषि मंत्री श्री चौहान ने कहा कि वह रणसिंह कलां गांव की इस पवित्र धरती से पूरे भारत के किसानों को संदेश देना चाहते हैं कि रणसिंह कलां गांव के पराली प्रबंधन के इस सफल प्रयोग को अपने यहां भी अपनाएं। ताकि प्रदूषण से भी बचाव हो और धरती उपयोगी भी बन सके।
श्री चौहान ने कहा कि उन्होंने तय किया है कि चुने हुए किसानों के साथ बैठकर उनके साथ विचार-विमर्श करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खेती में बदलाव की 5 वर्षीय योजनाएं तय की जाएंगी। आगामी 22-23 दिसंबर को इस संबंध में चिंतन बैठक का आयोजन प्रस्तावित है।
उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट से कस्टम हाइरिंग सेंटर को मैकनाइजेशन के सेंटर के रूप में भी काम करने का प्रबंध करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि हर छोटा किसान मशीन नहीं खरीद सकता, इसलिए ऐसी व्यवस्था जरूरी है जिसमें भले ही किसान के पास व्यक्तिगत रूप से मशीन ना हो लेकिन समूह के पास उपलब्ध मशीन के जरिए उसका काम हो सके। किराए पर मशीन लेकर किसान अपनी जरूरत की पूर्ति कर ले, ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए।
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