चंडीगढ़ , अक्टूबर 22 -- नागरिक प्रशासन और पंजाब पुलिस द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए किये गये निरंतर और कठोर प्रयासों के परिणाम स्वरूप राज्य में पिछले दो वर्षों की अवधि की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में लगभग चार गुना कमी देखी गयी है।

विशेष पुलिस महानिदेशक अर्पित शुक्ला ने बुधवार को कहा कि राज्य में पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए पुलिस टीमें नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर अथक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने बताया कि 15 सितंबर से 21 अक्टूबर तक संकलित आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2025 में खेतों में आग लगने की मात्र 415 घटनायें दर्ज की गयी हैं। यह उसी महत्वपूर्ण अवधि के दौरान 2024 में दर्ज 1,510 घटनाओं और 2023 में दर्ज 1,764 घटनाओं की तुलना में आश्चर्यजनक गिरावट दर्शाता है।

गौरतलब है कि पराली जलाने के मामलों को शून्य तक लाने के लिए उच्चतम न्यायालय और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों का पालन करते हुए श्री यादव और विशेष डीजीपी कानून एवं व्यवस्था अर्पित शुक्ला व्यक्तिगत रूप से पराली जलाने के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं।

डीजीपी पंजाब भी सभी वरिष्ठ अधिकारियों, रेंज अधिकारियों, सीपी/ एसएसपी और स्टेशन हाउस अधिकारियों (एसएचओ) के साथ बैठकें कर रहे हैं, ताकि राज्य में पराली जलाने के मामलों की व्यक्तिगत रूप से दिन-प्रतिदिन समीक्षा की जा सके।

श्री शुक्ला ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में उपायुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों द्वारा 251 और एसडीएम/डीएसपी द्वारा 790 संयुक्त दौरे किये गये, जिसके दौरान उन्होंने 2381 जन जागरूकता बैठकें कीं और किसान यूनियनों के साथ 1769 बैठकें आयोजित की गयीं। इसके अलावा, थाना स्तर पर पराली सुरक्षा बल का भी गठन किया गया है, जो निगरानी रखने के साथ-साथ किसानों को पराली पर माचिस डालने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक भी कर रहा है।

विशेष डीजीपी ने कहा कि पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य में पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीएसआरसी) द्वारा 415 खेतों में आग लगने की घटनाओं का पता लगाया गया है और मौके पर निरीक्षण के लिए संयुक्त टीमें भेजी गयी हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस टीमों ने 172 मामलों में एफआईआर दर्ज की हैं और 189 मामलों में जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि 165 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री भी की गयी हैं।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित