लुधियाना , नवंबर 22 -- कारख़ाना मज़दूर यूनियन और टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन ने शनिवार को केन्द्र सरकार द्वारा चार नए श्रम कोड लागू करने की सख्त निंदा की है।
संगठनों का कहना है कि श्रम क़ानूनों में किए गए मज़दूर विरोधी संशोधनों के ख़िलाफ़ देश भर के मज़दूर वर्ग द्वारा व्यापक स्तर पर आवाज़ बुलंद होती रही है। जनता के इस विरोध को दरकिनार करते हुए भारतीय जनता पार्टी( भाजपा) नीत केंद्र सरकार पूरी हठधर्मिता के साथ नए श्रम क़ानून लागू कर दिए हैं।
कारख़ाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर और टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष जगदीश द्वारा यहां जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि नए श्रम क़ानूनों के जरिए पूँजीपति वर्ग को मज़दूरों के श्रम की और ज्यादा तीखी लूट करने और अधिक लाभ कमाने की छूट दी गई है। काम के घंटों, रोजगार सुरक्षा, हादसों और बीमारियों से सुरक्षा, स्त्री मज़दूरों के विशेष अधिकारों, संगठित संघर्ष जैसे तमाम मज़दूर अधिकारों पर बड़ा हमला बोला गया है।
मजदूर नेताओं ने कहा कि ये क़ानून केन्द्र सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान श्रम क़ानूनों के सरलीकरण के बहाने पुराने 29 श्रम क़ानूनों को ख़त्म करके उनकी जगह कोड/संहिता के रूप में पारित किए गए थे। नए श्रम क़ानून संबंधी केन्द्र और राज्य सरकारों के स्तर पर नियम बनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बहाने सरकार ने नए क़ानून लागू नहीं किए थे। असल में देश भर में हो रहे जबरदस्त विरोध के कारण सरकार इन क़ानूनों को लागू नहीं कर पा रही थी। पूँजीपति वर्ग भी नियम बनाने की प्रक्रिया के दौरान मज़दूर वर्ग का और अधिक शोषण करने की छूट प्राप्त करना चाहता था। इस बीच, विभिन्न पार्टियों की राज्य सरकारें अपने स्तर पर नए क़ानूनों की मज़दूर विरोधी धाराओं को चार क़दम और आगे बढ़कर भी लागू करती रही हैं।
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