भोपाल , नवंबर 24 -- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज कहा कि सरकार स्वयं पंचायतों की कठिनाइयों को समझने और उनके समाधान खोजने आई है और पंचायतें सभी जनकल्याणकारी कार्यों का आधार होती हैं।

डॉ यादव यहां "राज्य स्तरीय कार्यशाला एवं वॉटर शेड सम्मेलन" के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत के कार्यों पर विस्तृत चर्चा करना है। "कुआँ प्यासे के पास आया है", सरकार स्वयं पंचायतों की कठिनाइयों को समझने और उनके समाधान खोजने आई है। संवाद, चर्चा और प्रशिक्षण के माध्यम से पंचायतों को मजबूत बनाना इस कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 74वें संविधान संशोधन के बाद पंचायतों को अधिकार-संपन्न बनाने की दिशा में राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है। महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र ही भारत की वास्तविक आत्मा है। प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को पंचायत स्तर तक लागू किया जा रहा है। 2047 के अमृतकाल के लिए पंचायतों को विकास यात्रा में सशक्त सहभागी बनाना है।

उन्होंने अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खंडवा सहित सभी जिलों को बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण को कर्मकांड न बनाकर इसे एक सतत अभियान के रूप में चलाने पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे तालाब, बावड़ी, कुएं आदि को वैज्ञानिक और योजनाबद्ध तरीके से पुनर्जीवित करने का आग्रह किया।

इसके साथ ही उन्होंने सरपंचों को 25 लाख रुपए तक व्यय करने का अधिकार प्रदान किया।

उन्होंने शिक्षा संस्थानों के निरीक्षण को सार्थक और परिणामकारी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संदीपनी विद्यालयों को देश में सर्वश्रेष्ठ बनाने की दिशा में प्रयास जारी हैं। मनरेगा, आजीविका मिशन, सामाजिक ऑडिट, डिजिटल मॉनिटरिंग, स्व-निधि, समृद्धि योजना, वाटरशेड, स्वच्छ पेयजल आदि विषयों पर प्रशिक्षण कार्यशाला में विस्तृत चर्चा की जा रही है।

डॉ यादव ने कहा कि "उद्योग-रोजगार वर्ष" के अंतर्गत ग्राम स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 'नदी जोड़ो अभियान' के माध्यम से हर खेत तक पानी पहुँचाने की पहल की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 3 हॉर्सपावर और 5 हॉर्सपावर के सोलर पंप पर केवल 10 प्रतिशत का योगदान देना होगा, जबकि 90 प्रतिशत राशि सरकार वहन करेगी। पेयजल योजनाओं में भी सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रामीण विकास और पंचायत सशक्तिकरण के आधार पर 2047 तक समृद्ध एवं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने पर जोर दिया गया।

साथ ही उन्होंने पंचायतों को सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का मजबूत आधार बताया गया।

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