नयी दिल्ली , दिसंबर 19 -- न्यायिक प्रक्रियाओं में कृत्रिम मेधा ( एआई) को जोड़ने से संबंधी प्रमुख चुनौतियों के समाधानों की सिफारिश के लिए उच्चतम न्यायालय की ई-समिति ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ छह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की एक उप-समिति गठित की है।
यह समिति सुरक्षित कनेक्टिविटी और प्रमाणीकरण तंत्र के बारे में सुझाव देगी , डेटा और गोपनीयता सुरक्षा के उपायों का आकलन करेगी तथा ई-कोर्ट्स परियोजना के अंतर्गत डिजिटल अवसंरचना और सेवा वितरण प्रणालियों की समीक्षा कर डेटा सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के उपाय करेगी। यह जानकारी शुक्रवार को लोकसभा में कानून एवं न्याय तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका अवगत है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में एआई को एकीकृत करने में एल्गोरिदमिक पक्षपात, भाषा और अनुवाद से संबंधित समस्याएँ, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा की चिंता तथा एआई द्वारा तैयार किए गए परिणामों के मैनुअल सत्यापन की जरूरत जैसी चुनौतियां हैं।
श्री मेघवाल ने बताया कि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत, भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग हेतु मिशन के तौर पर चलाई जा रही ई-कोर्ट्स परियोजना के तीसरे चरण पर काम चल रहा है । इस पर 7,210 करोड़ रुपये के परिव्यय का अनुमान है। इसका उद्देश्य न्यायालयों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से सक्षम बनाकर न्यायिक प्रणाली में इस तरह का बदलाव करना है कि न्यायालय के काम में गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों तरीके से सुधार हो । इससे न्याय प्रणाली अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और पारदर्शी बन सके।
उन्होंने बताया कि ई-कोर्ट्स परियोजना के तीसरे चरण में, "भविष्य की तकनीकी प्रगति (एआई, ब्लॉकचेन आदि)" घटक के लिए 53.57 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। उच्च न्यायालय ने न्यायिक क्षेत्र में एआई के उपयोग की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है।
श्री मेघवाल ने बताया कि न्यायिक प्रक्रियाओं में एआई टूल को अपनाने के लिए अभी कोई औपचारिक नीति या दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं और अभी न्यायिक प्रक्रिया में एआई-आधारित समाधानों का प्रयोग नियंत्रित तरीके से परीक्षण के तौर पर किया जा रहा है। प्राधिकरण केवल ई-कोर्ट्स चरण-तीन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में अनुमोदित क्षेत्रों के भीतर ही एआई का उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस बारे में परिचालन व्यवस्था और उसका विनियमन संबंधित उच्च न्यायालयों के कार्य नियमों और नीतियों द्वारा शासित होगा।
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