शिमला , नवंबर 05 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को न्यायपालिका को धन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने की एक समय सीमा निर्धारित की और निर्देशों का पालन न करने पर संबंधित अधिकारी को अदालत में उपस्थित होने का भी आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने माना कि राज्य में बजटीय आवंटन की कमी के चलते सामान्य अदालती कामकाज बाधित हो रहा है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने अपने हाल के आदेश में बजटीय आवंटन की कमी के कारण सामान्य अदालती कामकाज बाधित होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई।
अदालत ने वित्त सचिव को 13 नवंबर को 10 करोड़ रुपये के ड्राफ्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी। हालांकि, यदि राशि पहले ही जमा कर दी जाती है तो उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी।
न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और अदालतों को प्रशासनिक खर्चों के भुगतान में लगातार हो रही देरी का हवाला देते हुए 2023 में एक जनहित याचिका के रूप में इस मुद्दे का स्वतः संज्ञान लिया। पीठ ने पाया कि प्रशासनिक लागतों के लिए लगभग 6.88 करोड़ रुपये और वाहन खरीद के लिए 4.07 करोड़ रुपये का बकाया है।
न्यायमित्र नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज गुप्ता ने अदालत को बताया कि सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के वेतन वृद्धि लागू करने के बावजूद उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय, दोनों के आदेशों की अनदेखी की है। राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता अनूप रत्न ने कहा कि मुख्यमंत्री को मामले से अवगत करा दिया गया है।
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