नोएडा , नवंबर 05 -- त्तर प्रदेश की नोएडा साइबर क्राइम यूनिट की सक्रियता से मिली सफलता का बुधवार को साइबर पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि साइबर पुलिस द्वारा इंटेलीजेंस और गहन परीक्षण की कार्रवाई करते हुए देश के विभिन्न राज्यों में साइबर जालसाजों के शिकंजे में फंसे लोगों को समय रहते पहचाना,जो पिछले काफी समय से साइबर ठगों के जाल में फंसकर ऑनलाइन निवेश कर रहे थे और लगातार ठगों के प्रलोभन में आकर अपनी जमापूंजी भेज रहे थे।

नोएडा सेक्टर 36 स्थित साइबर यूनिट के सक्रिय साइबर कमांडो के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, टीम ने (आईफोरसी) (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) और एनपीसीआई (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) के सहयोग से प्राप्त साइबर वित्तीय इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए, दर्ज साइबर अपराधों से जुड़े वित्तीय प्रवाह का अध्ययन किया,और लेनदेन के पैटर्न व नेटवर्क की गहनता से जांच करते हुए निवेश करने वाले पीड़ितों तक पहुंच बनाई, और देश के विभिन्न राज्यों तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, उड़ीसा और राजस्थान के रहने वाले 7 लाइव निवेशकों को और निवेश करने से रोका।

जानकारी के मुताबिक ये सभी पिछले कई महीनों से साइबर जालसाजों के निवेश की धोखाधड़ी के जाल में फंसे हुए थे,जिन्हें साइबर ठगों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से स्टॉक मार्केट और कई निवेश योजनाओं के लाभ दिखाकर उनमें अच्छे मुनाफे का झांसा दिया हुआ था, और उन्हें एक फर्जी नेटवर्क से जोड़ा हुआ था।

इस दौरान निवेशकों को लंबे समय तक यह एहसास नहीं हो पाया कि उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही है, साइबर क्राइम यूनिट ने सभी निवेशकों से सीधे संपर्क साधा और उन्हें साइबर ठगों के जालसाजी और ठगी की जानकारी देते हुए समझाया,जहां समय पर दी गई चेतावनी के बाद सभी ने आगे की ट्रांज़ैक्शन रोक दी।

जिससे साइबर ठगों के जालसाजी पर अंकुश लगाया जा सका,साइबर क्राइम यूनिट ने पीड़ितों के स्वयं संपर्क करने की प्रतीक्षा नहीं की, बल्कि टीम खुद उनके पास पहुंचकर उन्हें समय रहते सतर्क किया।

इस सक्रिय कार्रवाई में साइबर पुलिस द्वारा 7 लाइव निवेशकों (पीड़ितों) को करोड़ों रुपए के आर्थिक नुकसान से बचाया, और पुलिस द्वारा पीड़ितों से शिकायत प्राप्त करते हुए, उन सभी बैंक खातों को फ्रीज कराया सहित इसके साइबर पुलिस द्वारा साइबर ठगों के नेटवर्क की जांच की जा रही जिनके विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जा रही।

नोएडा साइबर पुलिस द्वारा जानकारी दी गई कि साइबर इंटेलिजेंस, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और संवेदनशील एजेंसियों के समन्वय के माध्यम से न केवल अपराधों की जांच की जा सकती है, बल्कि उन्हें रोकथाम के स्तर पर ही निष्प्रभावी किया जा सकता है।

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