पटना , दिसंबर 12 -- नेशनल मखाना बोर्ड की पहली बैठक दिल्ली स्थित कृषि भवन में शुक्रवार को आयोजित की गई, जिसमें देशभर के राज्यों के मखाना बीज की आवश्यकता का आकलन कर गुणवत्तापूर्ण बीज की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

इसके लिए बिहार के सबौर स्थित कृषि विश्वविद्यालय, एनआरसी मखाना (दरभंगा) समेत अन्य शोध संस्थानों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही केंद्रीय मखाना विकास योजना और बोर्ड के क्रियान्वयन की औपचारिक शुरुआत हुई।

इस बैठक में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को नई गति देने के लिये कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिये गये।

बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने की। इस अवसर पर बिहार कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) के कुलपति डॉ. डीआर सिंह, एनआरसी मखाना, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और विभिन्न अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

बैठक में मखाना किसानों को बेहतर किस्म के बीज उपलब्ध कराकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया।

साथ ही मखाना मूल्य श्रृंखला जैसे खेती, कटाई, प्रसंस्करण और विपणन से जुड़ी नवीनतम तकनीकों पर देशभर के ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करने का कार्य राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और एनआरसी मखाना को सौंपा गया है।

बोर्ड ने मखाना की आवश्यकता- आधारित अनुसंधान, उन्नत खेती तकनीक और आधुनिक प्रसंस्करण प्रणालियों के विकास को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। इसके तहत ग्रेडिंग, ड्राइंग, पॉपिंग और पैकेजिंग के लिये मजबूत बुनियादी ढांचा स्थापित किया जायेगा, जिससे मूल्य संवर्धन और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

बैठक में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन, सब्सिडी प्रावधान, तकनीक हस्तांतरण, बाजार विस्तार और निर्यात के नये अवसरों को मजबूत करने का निर्णय लिया गया। विभिन्न घटकों के लिये बजट आवंटन को भी मंजूरी दी गई है।

केंद्र सरकार ने 15 सितंबर को राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की स्थापना की थी। इसके साथ ही 2025- 26 से 2030- 31 तक चलने वाली 476.03 करोड़ रुपये की केंद्रीय मखाना विकास योजना को भी मंजूरी दी जा चुकी है।

यह योजना अनुसंधान, बीज उत्पादन, किसानों की क्षमता- वृद्धि, कटाई- प्रसंस्करण तकनीक, मूल्य संवर्धन, मार्केटिंग और निर्यात को गति देगी।

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