कोलकाता, सितंबर 26 -- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीरभूम की गर्भवती महिला सोनाली बीबी, उसके पति और नाबालिग पुत्र को बंगलादेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है और उन्हें चार सप्ताह में भारत वापस लाने का निर्देश दिया है।

न्यायालय ने इस संबंध में केंद्र की याचिका भी खारिज कर दी है। आरोपों के अनुसार, सोनाली की पहचान बंगलादेशी महिला के तौर पर की गयी और उसे उसके पति तथा पुत्र के साथ जबरन निर्वासित कर दिया गया। यह भी दावा किया गया है कि बंगलादेश पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि सोनाली गर्भवती है। मामला सामने आने के बाद, उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को इस केस की तत्काल सुनवाई करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति रितुपर्णा कुमार मित्रा की खंडपीठ ने आज सुनवाई की और कहा कि सोनाली और उसके परिवार को निर्वासित करना गलत था। खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि उनकी चार सप्ताह में तत्काल वापसी सुनिश्चित की जाये।

बीरभूम के पाइकर की रहने वाली सोनाली अपने पति दानिश शेख और आठ साल के पुत्र के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रही थीं। वे रोहिणी के सेक्टर 26 में रहते थे, जहाँ सोनाली ने लगभग दो दशकों तक कूड़ा बीनने और घरेलू सहायिका के रूप में काम किया। परिवार का आरोप है कि 18 जून को दिल्ली के के.एन. काटजू मार्ग थाने की पुलिस ने बंगलादेशी नागरिक होने के संदेह में उन्हें अचानक हिरासत में ले लिया।

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